GST provisional registration details of Spices Board New Feature : Click here for Auction Report मसाला: छोटी इलायची, नीलाम की तारीख: 05-Dec-2019, नीलामकर्ता: Cardamom Planters' Association, Santhanpara, लोटों की संख्या: 94, आवक की मात्रा(कि.ग्रा.): 15129.8, बिकी मात्रा (कि.ग्रा.): 13258, अधिकतम मूल्य (रु./कि.ग्रा.): 2996.00, औसत मूल्य (रु./कि.ग्रा.): 2796.47 मसाला: छोटी इलायची, नीलाम की तारीख: 05-Dec-2019, नीलामकर्ता: The Cardamom Processing & Marketing Co-Operative Society Ltd, Kumily, लोटों की संख्या: 278 , आवक की मात्रा(कि.ग्रा.): 66537.5, बिकी मात्रा (कि.ग्रा.): 64395.7, अधिकतम मूल्य (रु./कि.ग्रा.): 3168.00, औसत मूल्य (रु./कि.ग्रा.): 2834.62 Spice: Large Cardamom, Date: 05-Dec-2019, Market: Singtam, Type: Badadana, Price (Rs./Kg): 438, Spice: Large Cardamom, Date: 05-Dec-2019, Market: Singtam, Type: Chotadana, Price (Rs./Kg): 400, Spice: Large Cardamom, Date: 05-Dec-2019, Market: Gangtok, Type: Badadana, Price (Rs./Kg): 450, Spice: Large Cardamom, Date: 05-Dec-2019, Market: Gangtok, Type: Chotadana, Price (Rs./Kg): 400, Spice: Large Cardamom, Date: 05-Dec-2019, Market: Siliguri, Type: Badadana, Price (Rs./Kg): 520, Spice: Large Cardamom, Date: 05-Dec-2019, Market: Siliguri, Type: Chotadana, Price (Rs./Kg): 407,
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केसर

अंतिम अद्यतन 12-11-2015, 13:15 HRS
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केसर

वानस्पतिक नाम

व्रफोकस सौटिवस एल.

परिवार

इरिडेसी

वाणिज्यिक अंग

स्टिग्मा (वर्तिकाग्र)

विवरण

दुनिया का सबसे महंगा मसाला केसर क्रोकस सैटिवस पौधे के सूखे वर्तिकाग्र से प्राप्त किया जाता है। यह एक प्रकन्दीय, चिरस्थाई पौधा है जिसके गसेलाकार घनकंद, और 15-20 से.मी. ऊँचाई होती है। इसके परागोद्भव (प्रफुल्लन) में 6 से 10 पत्ते होते है । 2.5-3.2 से.मी. की वर्तिका शाखाएँ और 3.5-5 से. मी. परिदल पुंज फांक वाले नीलक बैंगनी रंग के एक या दो फूल खिलते हैं । पीली वर्तिका तीन शाखाओं में गहरी-विभाजित रहती है और वर्तिकाग्र चमकीले लाल होते हैं। फूल घनकंद से सीधे उग आते हैं। फूल के त्रि-पिण्डक वर्तिका कलिकाओं सहित वाणिज्यिक महत्ववाला केसर बनता है।

व्युत्पत्ति और प्रसारण

केसर दक्षिण यूरोप का वासी है और मेडिट्टरेनियन देशों में खासकर स्पेइन, ऑस्ट्रिया, फ्रांस, इंगलैंड, तुर्की, ईरान में इसकी खेती की जाती है। भारत में यह जम्मू व काश्मीर एवं हिमाचल प्रदेश में बढाया जाता है। केसर उपोष्णीय जलवायु में अच्छी तरह पनपता है। स्पेइन में 40 से.मी. से कम वार्षिक वर्षपातवाली शुष्क शीतोष्ण जलवायु में यह बढवाया जाता है। यह 2000 मीटर एम एस ए की उत्तुंगता पर बढता है। केसर के पुष्पण पर दीप्तिकाल उल्लेखनीय प्रभाव डालता हैं। ग्यारह घंटों की दीप्ति की अनुकूलतम अवधि वांछनीय है। विरले ही पुष्पण ऋतु की कम तापमान सहित उच्च आर्द्रता फसल के पुष्पण पर प्रभाव डालती है। वसंतकालीन वर्षा नए घनकंदों के उत्पादन को तेज़ बनाती है। हल्का अम्लीय से उदास, कंकडी, दुम्मटी, रेतीली मिट्टी केसर की खेती केलिए उपयुक्त है।

उपयोग

केसर का प्रयोग पकवान को बघारने एवं कुटीर पनीर, चिकन एवं माँस, चावल, सलाद का मसाला, मद्य एवं कोर्डियल में रंग देने केलिए किया जाता है। विशिष्ट ब्रेड, केक, मिष्ठान्नों, मुगल पकवानों में भी इसका प्रयोग होता है। प्रसाधनों में भी एक इत्र के रूप में केसर प्रयुक्त होता है। औषध में केसर बुखार, विषादरोग एवं जिगर और प्लीहा के परिवर्ध्दन में उपयोगी है । आयुर्वेद में संधिवात, नामर्दी एवं बाँझपन की चिकित्सा में काम लाया जाता है। चीनी एवं तिब्बती औषधियों में इसकी विभिन्न उपयोगिताएँ हैं।

भारतीय नाम

हिन्दी - ज़फरान बंगला - ज़ाफ्रान गुजराती - केसर कन्नड - कुंकुमा केसरी कश्मीरी - कोंग मलयालम - कुंकुमपूव मराठी - केसर, केसरा संस्कृत - केसर , कंकुमा , अरुणा, अस्रा, असरिका उर्दु - ज़फ्रन, ज़फरानेकर

विदेशी नाम

Spanish : Azafran French : Safran German : Safran Swedish : Saffran Arabic : Zafran Dutch : Saffraan Italian : Zafferano Portuguese : Acofrao Russian : Shafran Japanese : Safuran Chinese : Fan Hung-Hua