GST provisional registration details of Spices Board New Feature : Click here for Auction Report मसाला: छोटी इलायची, नीलाम की तारीख: 05-Dec-2019, नीलामकर्ता: Cardamom Planters' Association, Santhanpara, लोटों की संख्या: 94, आवक की मात्रा(कि.ग्रा.): 15129.8, बिकी मात्रा (कि.ग्रा.): 13258, अधिकतम मूल्य (रु./कि.ग्रा.): 2996.00, औसत मूल्य (रु./कि.ग्रा.): 2796.47 मसाला: छोटी इलायची, नीलाम की तारीख: 05-Dec-2019, नीलामकर्ता: The Cardamom Processing & Marketing Co-Operative Society Ltd, Kumily, लोटों की संख्या: 278 , आवक की मात्रा(कि.ग्रा.): 66537.5, बिकी मात्रा (कि.ग्रा.): 64395.7, अधिकतम मूल्य (रु./कि.ग्रा.): 3168.00, औसत मूल्य (रु./कि.ग्रा.): 2834.62 Spice: Large Cardamom, Date: 05-Dec-2019, Market: Singtam, Type: Badadana, Price (Rs./Kg): 438, Spice: Large Cardamom, Date: 05-Dec-2019, Market: Singtam, Type: Chotadana, Price (Rs./Kg): 400, Spice: Large Cardamom, Date: 05-Dec-2019, Market: Gangtok, Type: Badadana, Price (Rs./Kg): 450, Spice: Large Cardamom, Date: 05-Dec-2019, Market: Gangtok, Type: Chotadana, Price (Rs./Kg): 400, Spice: Large Cardamom, Date: 05-Dec-2019, Market: Siliguri, Type: Badadana, Price (Rs./Kg): 520, Spice: Large Cardamom, Date: 05-Dec-2019, Market: Siliguri, Type: Chotadana, Price (Rs./Kg): 407,
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जैव मसाले

अंतिम अद्यतन 18-11-2014, 18:53
भारत �जैव मसाले के लिए एक पर्मुख स्थान

भारत - मसालों की भूमि
भारत विश्व में मसालों साले का सबसे बड़ा उत्पादक, उपभोक्ता एवं निर्यातक है। परिवर्तित कृषि-जलवायवी स्थितियों एवं मृदा प्रकार के कारण भारत 60 विविध प्रकार के मसाले का उत्पादन करता है। भारत 100 लाख मैट्रिक टन से ऊपर मसालों का उत्पादन करता है जिसमें लगभग 15.78 लाख मैट्रिक टन (15 प्रतिशत) 180 से अधिक राष्ट्रों को निर्यात करता है।

जैव खेती
हाल के वर्षों में, जैव खेती काफी महत्व प्राप्त कर रही है। आज विश्व भर के कई किसान जैव खेती में अभिरुचि दिखा रहे हैं। सुरक्षित खाद्य सामग्रियों का उत्पादन करने एवं पर्यावरण की सुरक्षा करने के उपाय के रूप में उनमें से कई कृषि के इस परंपरागत विधि को अपनाना शुरू कर दिया है। जैव खेती की संकल्पना भारत के लिए नयी नहीं है लेकिन भारतीय किसान एक संधारणीय खेती एवं पर्यावरण के संरक्षण के लिए पारंपरिक रूप से स्वदेशी खेती सिद्धांतों एवं आचरणों का पालन करते हैं जो आज के जैव खेती की संकल्पना के अनुरूप है।

जैविक उत्पादों की वैश्विक मांग
जैव उत्पादों की वैश्विक माँग यूरोप, अमेरिका, जापान और ऑस्ट्रेलिया जैसे विकसिक राष्ट्रों में जैव उत्पादों के लिए वैश्विक माँग तेज़ी से बढ़ रही है। इन राज्यों के जैव खाद्यों के वर्तमान अनुमानित शेयर लगभग एक से 1.5 प्रतिशत है। दुनिया भर में, खाद्य प्रवृत्तियाँ एक उल्लेखनीय स्वास्थ्य अभिविन्यास के साथ बदल रही हैं। जैव खाद्य रासायनिक संदूषकों से मुक्त होने के कारण, इन उत्पादों की माँग अनवरत रूप से बढ़ रही है।

स्पाइसेस बोर्ड भारत की पहल
स्पाइसेस बोर्ड भारत ने 1998 के दौरान जैव मसालों के उत्पादन पर एक प्रलेख तैयार किया। इसमें जैव संकल्पना, सिद्धांत, मैलिक मानक, उत्पादन दिशा-निर्देश, प्रलेखन, निरीक्षण एवं प्रमाणीकरण शामिल हैं। प्रलेख भारत के आई एफ ओ ए एम के सदस्यों द्वारा गठित राष्ट्रीय मानक समिति द्वारा अनुमोदन के बाद प्रकाशित किता गया है। बोर्ड ने आई एफ ओ ए एम के भारत के सदस्यों के संध के साथ संयुक्त रूप से 1998 के दौरान बोर्ड एवं गैर सरकारी संगठनों के पदधारियों के लिए "निरीक्षण एवं प्रमाणन प्रक्रियाओं" पर एक प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित किया है।

महत्वपूर्ण मसालों के जैव खेती पर अनुसंधान कार्यक्रम शुरू हो गए हैं। केरल के इडुक्की जिले में स्पाइसेस बोर्ड के भारतीय इलायची अनुसंधान संस्थान में यह काम किया जाता है। स्पाइसेस बोर्ड मसालों के विशेष संदर्भ में मसाले उत्पादक, किसानों के समूह, गैर सरकारी संगठनों के सदस्य एवं राज्य कृषि विभाग के पदाधिकारियों के लिए जैव खेती के सिद्धांतों एवं आचरणों पर नियमित रूप से प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित कर रहे हैं।

जैविक मसाला उत्पादन को बढ़ावा देना
Tबोर्ड गैर सरकारी संगठनों एवं किसानों के समूह को जैव खेती तकनीक को अपनाने के लिए प्रोत्साहन देता है। प्रमुख उत्पादन क्षेत्रों में जैव इनपुट के उत्पादन के लिए अवसंरचना विकास चल रहा है। उत्पाद की गुणवत्ता के उन्नयन के लिए कृमि खाद इकाई का विकास एवं कटाई उपरांत सहायता की आपूर्ति भी चल रहे हैं।

जैव मसालों का प्रमाणन
उत्पाद को जैव के रूप में विपणन करने में खासकर अंतर्राष्ट्रीय विपणन में जैव मसालों की खेती के लिए प्रमाणन एक अनिवार्य पूर्वापेक्षा है। जैव उत्पादों के निर्यात के लिए कार्यक्षम समझाते हुए वाणिज्य मंत्रालय, भारत सरकार ने जैव उत्पादन के लिए अप्रैल 2000 में राष्ट्रीय कार्यक्रम (एन पी ओ पी) की स्थापना की है। एन पी ओ पी के अंतर्गत वाणिज्य मंत्रालय द्वारा एक राष्ट्रीय संचालन समिति स्थापित किया गया था। स्पाइसेस बोर्ड एन पी ओ पी का सक्रिय सदस्य है। सख्त गुणवत्ता नियंत्रण मानकों को बनाए रखते हुए जैविक उत्पादन के लिए राष्ट्रीय कार्यक्रम (एन पी ओ पी) केवल उन उत्पादों के लिए निर्यात सुनिश्चित करता है जो जैविक उत्पादन के लिए राष्ट्रीय मानकों को पूरा करता है। एन पी ओ पी के अंतर्गत स्थापित किया गया राष्ट्रीय प्रत्यायन निकाय [एन ए बी] देश के जैव प्रमाणन निकायों के प्रत्यायन के लिए उत्तरदायी है। राष्ट्रीय प्रत्यायन नीति के अनुसार, भारत में कार्यरत सभी प्रमाणन एजेंसियों को राष्ट्रीय प्रत्यायन निकाय [एन ए बी] से प्रत्यायन प्राप्त करना है। वर्तमान में, एन पी ओ पी के अंतर्गत 24 प्रमाणन निकाय मान्यता प्राप्त किए हैं।

एन पी ओ पी मानकों, प्रत्यायन नीति, भारत में कार्यरत प्रमाणन एजोंसियों की सूचि के बारे में अधिक जानकारी के लिए,कृपया देखें: www.apeda.gov.in/apedahindi/SixHeadProduct/Organic.htm

जैविक मसालों की सोर्सिंगमें मददत करता है
स्पाइसेस बोर्ड विदेशी खरीददारों को जैव मसालों की सोर्सिंग में मदद करता है। देश को विभिन्न प्रकार के मसालों के उत्पादन एवं आपूर्ति करने की क्षमता है। स्पाइसेस बोर्ड अंतर्राष्ट्रीय खरीददारों को भारतीय प्रमाणित जैव मसालों का प्रदर्शन एवं प्रचार करने के लिए नियमित रूप से बायोफैक, जर्मनी में भाग लेता है।

भारत से जैव मसालों का निर्यात सही मयनों में शुरू हो गया है। 2020-21 के दौरान 194.10 करोड मूल्य के लगभग 5200 टन जैव मसाले देश से विभिन्न स्थानों तक निर्यात किया गया। संयुक्त राज्य अमेरिका, जर्मनी, फ्रांस, ब्रिटेन, ऑस्ट्रेलिया, बेल्जियम, नेथरलैंड, स्विट्जरलैंड आदि प्रमुख राष्ट्र हैं जहाँ भारत जैव मसाले निर्यात करता है ।