GST provisional registration details of Spices Board New Feature : Click here for Auction Report मसाला: छोटी इलायची, नीलाम की तारीख: 05-Dec-2019, नीलामकर्ता: Cardamom Planters' Association, Santhanpara, लोटों की संख्या: 94, आवक की मात्रा(कि.ग्रा.): 15129.8, बिकी मात्रा (कि.ग्रा.): 13258, अधिकतम मूल्य (रु./कि.ग्रा.): 2996.00, औसत मूल्य (रु./कि.ग्रा.): 2796.47 मसाला: छोटी इलायची, नीलाम की तारीख: 05-Dec-2019, नीलामकर्ता: The Cardamom Processing & Marketing Co-Operative Society Ltd, Kumily, लोटों की संख्या: 278 , आवक की मात्रा(कि.ग्रा.): 66537.5, बिकी मात्रा (कि.ग्रा.): 64395.7, अधिकतम मूल्य (रु./कि.ग्रा.): 3168.00, औसत मूल्य (रु./कि.ग्रा.): 2834.62 Spice: Large Cardamom, Date: 05-Dec-2019, Market: Singtam, Type: Badadana, Price (Rs./Kg): 438, Spice: Large Cardamom, Date: 05-Dec-2019, Market: Singtam, Type: Chotadana, Price (Rs./Kg): 400, Spice: Large Cardamom, Date: 05-Dec-2019, Market: Gangtok, Type: Badadana, Price (Rs./Kg): 450, Spice: Large Cardamom, Date: 05-Dec-2019, Market: Gangtok, Type: Chotadana, Price (Rs./Kg): 400, Spice: Large Cardamom, Date: 05-Dec-2019, Market: Siliguri, Type: Badadana, Price (Rs./Kg): 520, Spice: Large Cardamom, Date: 05-Dec-2019, Market: Siliguri, Type: Chotadana, Price (Rs./Kg): 407,

मसाला बोर्ड विजन और मिशन

भारतीय मसाला बोर्ड की स्थापना 1987 में, 52 मसालों और मसाला उत्पादों, जो इसके अधिकार क्षेत्र के अधीन आते हैं, के निर्यात को विकसित करने, बढ़ावा देने और विनियमित करने के लिए की गई थी। इलायची (छोटी और बड़ी दोनों) के उत्पादन, प्रसंस्करण, घरेलू विपणन और निर्यात को बढ़ावा देना भी इसमें शामिल है।


26 फरवरी 2022 को, स्पाइसेस बोर्ड ने राष्ट्र की सेवा में 35 गौरवशाली वर्ष पूरे किए। स्पाइसेस बोर्ड की स्थापना के बाद के इन वर्षों के उत्साह और स्वादपूर्ण यात्रा पर एक नज़र डालें:SPICES SAGA - 35 GLORIOUS YEARS OF SPICES BOARD

विज़न

मसालों और मूल्य वर्धित मसाला उत्पादों के वैश्विक व्यापार की अगुवाई करते हुए भारत से कृषि निर्यात के विकास में योगदान देना ।

मिशन

वैश्विक मसाला बाजार के औद्योगिक और खुदरा क्षेत्रों में स्वच्छ, सुरक्षित और मूल्य वर्धित मसालों और मसालों के उत्पादों का अंतर्राष्ट्रीय प्रसंस्करण केंद्र और प्रमुख आपूर्तिकर्ता बनना

विपणन उपलब्धियाँ

  • वर्ष 1987-88 के रु.298 करोड .07 लाख एम टी की तुलना में वर्ष 2020-21 में मसालों का निर्यात 27193.20 करोड रुपये (3624.76 मिललियान यूएस डॉलर ) मूल्य के 1565000 टन के के साथ3.5 बिलियन यु एस डॉलर पार किया है। यह मात्रा और मूल्य दोनों के संदर्भ में एक सर्वकालिक रिकॉर्ड था। कोविड-19 के दौरान भी मज़बूत निर्यात वृद्धि- पिछले वर्ष की तुलना में वर्ष 2020-21 में निर्यात में यु एस डॉलर के संदर्भ में मात्रा में 30 प्रतिशत, मूल्य में रुपए के संदर्भ में 23 प्रतिशत यु एस डॉलर के संदर्भ में 17 प्रतिशत की वृद्धि दर्शाई है।

  • 6600 से अधिक पंजीकृत निर्यातकों का एक मज़बूत नेटवर्क जिसमें 600 विनिर्माता है। कई निर्यातक अपने क्षेत्र में मसालों के मूल्यवर्द्धन और उच्चस्थरीय प्रसंस्करण के अग्रणी है। भारत को मसालों के निर्यात के मूल्यवर्द्धन में 51 प्रतिशत से अधिक योगदान है।

  • किसानों को अपने उत्पाद के लिए बेहतर मूल्य वसूली और व्यापक विपणि प्राप्त करने के लिए सशक्त बनाने केलिए स्पाईसोस बोर्ड के पास, भारत के प्रमुख उत्पादन/विपणन केंद्रों में आठ फसल विशेष मसाला पार्क हैं। स्थापित सभी मसाला पार्कों को खाद्य प्रसंस्करण उद्योग मंत्रालय द्वारा फुड पार्क/मेगा फुड पार्क के रूप में अभिहित किया गया है। विभिन्न मसाला पार्कों में स्थापित सामान्य प्रसंस्करण इकाइयों के ज़रिए कुल 14,131.49 मीटरी टन मसालों का प्रसंस्करण किया गया और वर्ष 2020-21 में 743.42लाख रुपये मूल्य के 649 मीटरी टन मसालों का निर्यात किया गया।

  • उत्पादकों के लाभ और बेहतर पारदर्शिता के लिए ई-नीलामी शुरू करके छोटी इलायची की नीलामी प्रणाली को पुनर्जीवित किया गया। लेन-देन में पारदर्शिता बढाते हुए और किसानों को बेहतर मूल्य वसूली प्रदान करते हुए करके प्रणाली ने इलायची व्यापार को कारगर बनाया है। अगस्त 2007 में बोडिनायकन्नूर , तमिलनाडु में और दिसंबर 2007 में पुट्टड़ी इडुक्की, केरल में ई-नीलामी केन्द्र स्थापित किए गए।

  • स्पाईसेस बोर्ड ने मलबार पेप्पर, , आलप्पी ग्रीन कार्डमम, , कूर्ग ग्रीन कार्डमम, गुंटूर सन्नम चिल्ली, और ब्यादगी मिर्च के लिए जी आई टैग प्राप्त किया है।

  • बोर्ड ने अपनी तीन दशकों की लंबी उपस्थिति में इस क्षेत्र के सरोकार और विचारों पर विचार-विमर्श करने के लिए वर्ल्ड स्पाईस कोन्ग्रेस, जो वैश्विक स्पाईस उद्योग के समूह है, के 13 संस्करण सफलतापूर्वक आयोजित किया है। यह विभिन्न व्यापार और निर्यात फॉरम के समर्थन से आयोजित किया गया। वर्ल्ड स्पाइस कांग्रेस विस्तृत विचार-विमर्श और प्रगतिशील दृष्टिकोण के साथ विश्व स्तर पर इस क्षेत्र को जानने के लिए मंच और अवसर प्रदान करती है। इसमें वर्तमान व्यापार आवश्यकता, स्थिरता, गुणवत्ता और खाद्य सुरक्षा पहल, हाल के विकास, चिंताओं और भविष्य की संभावनाओं पर विस्तृत विचार-विमर्श शामिल हैं, जो उद्योग के प्रमुख व्यक्तियों द्वारा प्रस्तुत किए जाते हैं। यह वर्तमान व्यापार आवश्यकता, संधारणीयता, गुणवत्ता और खाद्य सुरक्षा पहल, नया विकास, सरोकार और भविष्य की संभावनाओं पर विस्तृत विचार-विमर्श शामिल है जो उदेयोग के महत्वपूर्ण भूमिका निभानेवाले, अर्थात पणधारियों तथा व्यापार के हित के लिए दुनिया भर के उत्पादक, व्यापारी, प्रोसेसर, निर्यातक और नियामकों द्वारा प्रस्तुत किया जाता है।

  • अपने पणधारियों के लाभ के लिए मसाला उद्योग से संबंधित सूचना का प्रचार करने के लिए स्पाईसेस बोर्ड भारत अंग्रेज़ी, हिन्दी, मलयालम, कन्नड, तमिल और तेलुगु में 'स्पाईस इंडिया ' मासिक पत्रिका का प्रकाशन करता है।

  • ‘स्पाईसेस मार्केट’ के प्रकाशन के द्वारा प्रमुख बाज़ारों में स्पाईसेस के दैनिक व्यापार मूल्य की सूचना का संकलन और प्रचार

  • भारतीय स्पाईसेस को अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर बढावा देने के लिए यथासमस हस्तक्षेप और उद्योग में उद्यमिता के अवसर को बढावा देने के लिए पहल।

  • पिछले तीन दशकों के दौरान प्रमुख संभावित, ध्यान केंद्रित देशों में प्रमुख राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय व्यापार मेलों में भागीदारी के माध्यम से भारतीय मसालों के व्यापार को बढ़ावा देना।

  • उत्पादक और खरीदार के लाभ के लिए बोर्ड ने वैश्विक और राष्ट्रीय स्तर पर क्रेता-विक्रेता बैठक आयोजित करने की मज़बूत पहल की है।
    बोर्ड भारत के मसाला निर्यातकों को अमेरिकी निर्यात के लिए पीसीक्यूआई-एचएफ (मानव खाद्य के लिए निवारक नियंत्रण योग्य व्यक्ति) के रूप में नामित सीटीसी (सहयोगी प्रशिक्षण प्रकोष्ठ) के रूप में विभिन्न खाद्य सुरक्षा प्रशिक्षण कार्यक्रमों का आयोजन करता है।

  • बोर्ड निर्यात के लिए स्पाईस व्यापार में नए उभरते और स्टार्ट अप के लिए भी विभिन्न ईडीपी (उद्यमिता विकास कार्यक्रम) आयोजित करता है।

विकास उपलब्धियाँ

  • केरल, कर्नाटक और तमिलनाडु राज्यों में छोटी इलायची केलिए और उत्तर पूर्वी राज्यों में बड़ी इलाईची के लिए प्रमाणित पौधशाला योजनाओं का कार्यान्वयन किया जिससे किसानों के खेत में गुणवत्तापूर्ण रोपण सामग्रियों का उत्पादन किया गया और उत्पादकों को वितरित किया गया । इससे देश में इलायची का अधिक उत्पादन और उत्पादकता होती है।

  • कर्नाटक के पाँच विभागीय पौधशालाएँ छोटी इलायची, कालीमिर्च, लौंग, जायफल आदि की अच्छी गुणवत्तावाली रोपण सामग्री का उत्पादन कर रही हैं और कर्नाटक और उसके निकटतम राज्यों के किसानों को वितरण कर रहे हैं जो इस राज्यों के किसानों के लिए बहुत लाभदायक है।

  • देश की छोटी व बडी इलायची उगानेवाले राज्यों में इलायची पुनरोपण/नव रोपण योजना का कार्यान्वयन। इससे क्षेत्र का विस्तार, इलायची का उच्च उत्पादन और उत्पादकता होती है और देश से इलायची के निर्यात में भी मदद मिलती है।

  • राष्ट्रीय बागवानी मिशन के अधीन कालीमिर्च उत्पादन योजना का कार्यान्वयन। इस योजना को कार्यन्वित करने के फलस्वरूप कालीमिर्च का उत्पादन अधिक मात्रा में बढ़ गया है ।

  • योजना के द्वारा छोटी इलायची के लिए सुधरी क्यूरिंग उपकरण और बड़ी इलायची केलिए संशोधित भट्टी प्रस्तुत करने से दोनों इलायची की गुणवत्ता में सुधार आयी जिसके परिणामस्वरूप किसानों को अधिक कीमत मिलती है।

  • किसानों को निर्यात हेतु मसालों की गुणवत्ता बढ़ाने तथा अपने उत्पाद केए बेहतर मूल्य प्राप्ति केलिए मदद देने के वास्ते, हल्दी बॉइलर, हल्दी पॉलिशर, कालीमिर्च थ्रेशर, बीजीय मसाला थ्रेशर, पुदीना आसवन इकाई जैसे फसलोत्तर उपकरणों की खरीद और संस्थापन के लिए वित्तीय सहायता प्रदान गई।

  • मसाला उत्पादक समाज तथा एफ़पीओ, जो निर्यातकों/डीम्ड निर्यातकों के साथ संबंध स्थापित करने केलिए मसाला उत्पाद के एकत्रीकरण हेतु देश के मसाला बढ़ानेवाले क्षेत्रों में गैप ब्रिजिंग ग्रुप के रूप में कार्य करते हैं, को समर्थन ।

  • किसानों को तकनीकी सलाह के माध्यम से विस्तार सेवा प्रदान करना और देश भर के किसानों/राज्य कृषि/बागवानी अधिकारियों/एनजीओ/एफपीओ को गुणवत्ता सुधार प्रशिक्षण देना, गुणवत्ता संबंधी प्रमुख मुद्दों को संबोधित करता है और निर्यात किए जानेवाले मसालों की गुणवत्ता अपेक्षाओं में भी सुधार करता है और अंततः निर्यात अस्वीकृति कम करता है।

  • छोटी और बड़ी इलायची खेती में सिंचाई संरचनाओं, उपकरणों, वर्षा जल संचयन के भंडारण के कार्यान्वयन के परिणामस्वरूप कई वर्षों की सूखे की स्थिति को काबू में करते हुए उत्पादकता में वृद्धि हुई है।

  • देश भर में वजीफा देकर बड़ी मात्रा में युवाओं को मसाला विस्तार प्रशिक्षु के रूप में प्रशिक्षण दिया जाता है जो अपने-अपने राज्यों/क्षेत्रों के उत्पादन की संवृद्धि में योगदान दे रहे हैं।


सीआरईएस क्या है और निर्यात केलिए सीआरईएस क्यों आवश्यक है?

सीआरईएस का मतलब है मसालों के निर्यातक के रूप में पंजीकरण प्रमाणपत्र है। मसालों/मसाला उत्पादों के निर्यात/आयात के मामले में, बोर्ड द्वारा जारी किया गया ‘मसालों के निर्यातक के रूप में पंजीकरण प्रमाणपत्र’ अनिवार्य है।

मैं सीआरईएस के लिए कैसे आवेदन करूँ और सीआरईएस के नये आवेदन के लिए कितना शुल्क है?

सीआरईएस से संबन्धित सूचना के लिए कृपया बोर्ड की वेबसाईट https://www.indianspices.org.in/CRES_new/e-r-o/exporters- registration/form/Registration.php देखें

सीआरईएस में बदलाव लाने की प्रक्रिया क्या है?

किसी बदलाव/आशोधन के लिए निर्यातक को बोर्ड के निकटतम कार्यालय में संपर्क करना होगा और प्रत्येक संशोधन/आशोधन के लिए रु. 5000+जीएसटी शुल्क के रूप में देना होगा।

क्या तिमाही निर्यात विवरणी प्रस्तुत करना अनिवार्य है?

जी हाँ, सभी निर्यातकों को नियमित रूप से तिमाही निर्यात विवरणी प्रस्तुत करना अनिवार्य है। तिमाही निर्यात विवरणी ऑनलाइन में भारी जा सकती है ।

यह कैसे जाँज करें कि जो मसाला मैं निर्यात कर रहा हूं वह अनिवार्य परीक्षण के अंतर्गत आता है या नहीं?

अनिवार्य नमूनन से संबन्धित जानकारी के लिए कृपया https://indianspices.com/trade/trade-notifictions/notificationdetails.html/id=192 देखें और अधिक जानकारी के लिए निर्यातक, स्पाईसेस बोर्ड के निकटतम गुणवत्ता मूल्यांकन प्रयोगशाला से संपर्क कर सकता है।

मैं कैसे परेषण-पूर्व नमूनन करूँ?

बोर्ड के सभी पंजीकृत निर्यातकों को यूज़र आई डी और पासवर्ड दिए जाते हैं। अगर यूज़र आई डी और पासवर्ड नहीं दिया गया है तो सीआरईएस संख्या के आधार पर लॉगिन और पासवर्ड जारी करने हेतु कृपया sampling.sb-ker@gov.in से संपर्क करें। एक बार आई डी और पासवर्ड मिलने के बाद www.indianspices.org.in जाकर आप सूचना प्रपत्र भर सकते हैं।

इलाईची ब्यौहारी व नीलामकर्ता अनुज्ञप्ति के लिए कैसे आवेदन करें?

नीलामकर्ता अनुज्ञप्ति के लिए कृपया https://indianspices.com/marketing/auctioneer.html और ब्यौहारी अनुज्ञप्ति के लिए https://indianspices.com/marketing/dealer देखें।

मैं स्पाईसेस बोर्ड के साथ अंतर्राष्ट्रीय प्रदर्शनी में कैसे सह-प्रतिभागी बनूँ?

इस साल में आयेजित अंतर्राष्ट्रीय प्रदर्शनी की सूची वेबसाईट में उपलब्ध है और सहभागिता के लिए इच्छुक निर्यातक publicity.sb-ker@gov.inमें संपर्क कर सकते हैं।

फोरिन ट्रेड इंक्वाइरी बुलेटिन के लिए मैं कैसे सदस्यता ले सकता हूं?

फोरिन ट्रेड इंक्वाइरी बुलेटिन एक पाक्षिक प्रकाशन है जिसे निर्यातकों के हित केलिए विभिन्न स्रोतों से एकत्रित व्यापार पूछताछों से तैयार किया जाता है। इसका परिचालन केवल ऑनलाइन के माध्यम से होता है और इसका वार्षिक दर रु. 600 है। अधिक जानकारी के लिए प्रचार विभाग से संपर्क करें, फोन: 91-484-2333610-616 ई-मेल : publicity.sb-ker@gov.in

मैं स्पाईसेस बोर्ड के विपणन और प्रशिक्षण से संबंधित कार्यक्रम के बारे में कैसे जानकारी प्राप्त करूँ?

कृपया https://indianspices.com/training-calender.html देखें

सीआरईएस के लिए आवश्यक पूर्वापेक्षित दस्तावेज़ क्या-क्या हैं?

कृपया http://indianspices.org.in/CRES_new/e-r-o/exporters-registration/form/pre.pdf देखें।

व्यापारी और विनिर्माता मसाला निर्यातक के बीच क्या अंतर है?

व्यापारी निर्यातक वह व्यक्ति है जो विनिर्माता से सामग्री खरीदकर अपने फर्म के नाम पर निर्यात करके व्यापार गतिविधि में लगा रहता है । विनिर्माता निर्यातक वह व्यक्ति है जो माल का विनिर्माण करता है, प्रसंस्करण के ज़रिए मूल्य बढ़ाता है और उसका निर्यात करता है या निर्यात करने का इरादा रखता है।

बोर्ड के साथ पंजीकृत मसाला निर्यातकों के लिए उपलब्ध विपणन योजनाएँ क्या-क्या हैं?

कृपया https://indianspices.com/sites/default/files/Export_Development_Promotion.pdf देखें।

मसालों के निर्यात से संबंधित अधिक जानकारी के लिए मैं किससे संपर्क करूँ?

आपके निकटतम स्पाईसेस बोर्ड कार्यालय से संपर्क करें। अधिकारी से संबंधित विवरण के लिए कृपया https://indianspices.com/trade/trade-notifications/notifiicationdetails.html?id=203 देखें।

मसालों के पिछले पाँच वर्षों के आयात व निर्यात से संबंधित आंकडे मुझे कहाँ मिलेंगे?

कृपया https://www.indianspices.com/export/major-itemwise-export.html और https://www.indianspices.com/marketing/import.html देखें।

स्पाइसेस बोर्ड की स्थापना की पृष्ठभूमि और उद्देश्य क्या है?

स्पाइसेस बोर्ड, स्पाइसेस बोर्ड अधिनियम 1986 के अंतर्गत 26 फरवरी 1986 को पूर्ववर्ती इलायची बोर्ड एवं स्पाइस निर्यात संवर्धन परिषद् के विलयन से वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय, भारत सरकार के अंतर्गत गठित किया गया एक सांविधिक संगठन है जो 52 अनुसूचित मसालों के निर्यात संवर्धन और इलायची (छोटी एवं बड़ी) के विकास एवं अनुसंधान हेतु उत्तरदायी है। स्पाइसेस बोर्ड भारतीय मसालों के विकास एवं विश्वव्यापक संवर्धन के लिए अग्रणी संगठन है। बोर्ड भारतीय मसालों की उत्कृष्टता के लिए गतिविधियों की अगुवाई कर रहा है ताकि भारतीय मसाले उद्योग को अतर्राष्ट्रीय प्रसंस्करण हब एवं वैश्विक मसाले विपणन के औद्योगिक, खुदरा एवं खाद्य सेवा खण्डों के साफ़ एवं मूल्य वर्धित मसाले एवं शाक का मुख्य आपूर्तिकर्ता बनने की विज़न प्राप्त करने के लिए मदद मिल सके।

स्पाइसेस बोर्ड के मुख्य प्रकार्य क्या-क्या हैं?

स्पाइसेस बोर्ड उत्पादन, उत्पादकता एवं गुणवत्ता सुधार करने के संदर्भ में इलायची (छोटी एवं बड़ी) के समग्र विकास के लिए उत्तरदायी है। बोर्ड निर्यात के लिए 52 अनुसूचित मसालों की गुणवत्ता सुधार के लिए कटाई-उपरांत सुधार कार्यक्रमों का कार्यान्वयन कर रहा है। बोर्ड के विविध विकास कार्यक्रम एवं कटाई-उपरांत गुणवत्ता सुधार कार्यक्रम ‘निर्यातोन्मुख उद्पादन’ के तहत शामिल किए गए हैं।

मसाले उत्पादकों को स्पाइसेस बोर्ड से प्राप्त यहायताएँ क्या-क्या हैं?

2021-22 से 2025-26 के दौरान बोर्ड रोपण सामग्री उत्पादन, इलायची (छोटी एवं बड़ी) के लिए पुनर्रोपण एवं सिंचाई सुविधाएँ, कटाई उपरांत सुधार उपकरणों की आपूर्ति, जैव खेती का संवर्धन, उत्तरपूर्वी क्षेत्र में निर्यात योग्य मसालों का उत्पादन, मसालों के कटाई उपरांत गुणवत्ता सुधार के लिए एफ पी ओ को समर्थन, मसाले सेक्टर में नवप्रवर्तन का संवर्धन, क्षेत्र स्तर पर बुनियादी गुणवत्ता परीक्षण उपकरणों की स्थापना, इलायची (छोटी) के लिए बीमा के लिए सहायता प्रदान करेगा। अधिक जानकारी के लिए लिंक देखें। लिंक

स्पाइसेस बोर्ड से सहायता प्राप्त करने के लिए आवश्यक दस्तावेज़ कौन से हैं?

आधार कार्ड, बागान के भूमि कर रसीद/पर्चा/आर टी सी/ चिट्टा अडंगल/पनी, संबंधित क्षेत्रों की योजनाओं के लिए विनिर्दिष्ट बैंक पासबुक एवं अन्य समर्थक दस्तावेज़। अधिक जानकारी प्राप्त करने के लिए कृपया निकट के क्षेत्र कार्यालय से संपर्क करें।

सहायता प्राप्त करने के लिए किसे संपर्क करें और संबंधित कार्यालय का पता कैसे लगाएँ जिसके अंतर्गत किसान का क्षेत्र आता है?

विवरण प्राप्त करने के लिए स्पाइसेस बोर्ड के संबंधित कार्यालय से संपर्क करें और लिंक देखने पर बोर्ड के कार्यालयों का पता लगा सकता है। किसी भी मार्गदर्शन के लिए मुख्यालय, स्पाइसेस बोर्ड, कोच्ची, केरल से भी संपर्क कर सकते हैं। लिंक

मसाले प्रदायकों की सूची मुझे कहाँ मिल सकती है?

मसाले के प्रदायकों के विवरण प्राप्त करने के लिए कृपया लिंक देखें। यहाँ क्लिक करें

छोटी एवं बड़ी इलायची की लागत के विवरण कहाँ से मिल सकता है?

अधिक जानकारी के लिए कृपया लिंक देखें। लिंक

भारत में मसाले उत्पादन करने वाले क्षेत्र/ राज्य कौन से हैं?

अधिक जानकारी के लिए लिंक देखें। लिंक

जी आई टैगिंग वाले मसाले फसलों के नाम

मलबार पेप्पर, कूर्ग ग्रीन कार्डमम, आलप्पी ग्रीन कार्डमम, नागा चिल्ली, गुण्डूर सन्नम चिल्ली, ब्यादगी मिर्च, सिक्किम बड़ी इलायची, मिज़ो मिर्च, असम कारबियांगलोंग जिंजर, वैगन हल्दी, कंधमाल हल्दी, उत्तराखंड तेजपात, भिवपुर मिर्च, कश्मीर केसर एवंसिराराखोंग मिर्च एवंऔर सिराराखोंग मिर्च, दल्ले खुरचानी और कन्याकुमारी लौंग।
इनमें से मलबार पेप्पर, कूर्ग ग्रीन कार्डमम, आलप्पी ग्रीन कार्डमम, गुण्डूर सन्नम चिल्ली एवं ब्यादगी मिर्च स्पाइसेस बोर्ड के स्वामित्व के अधीन पंजीकृत किया हैं।

उत्तरपूर्वी क्षेत्रों में व्यायसायिक रूप से खेती किए जाने वाले मसाले कौन- से हैं ?

बड़ी इलायची, मिर्च, अदरक, हल्दी, दालचीनी एवं कालीमिर्च

मुख्य मसाले के फसल

अधिक जानकारी के लिए कृपया लिंक देखें। link

What is meant by the mandatory export inspection?

The process of ensuring the safety and quality of consignments of spices for the specified parameters before the export.

What is the criteria for notifying the spices under mandatory export inspection ?.

The spices for mandatory inspection are selected based on the occurrence of rejections or alerts on food safety and quality of spices in the international market and the agreements with importing countries

What is the criteria for notifying the parameters of analysis for mandatory export inspection ?.

The parameters for mandatory inspection are selected based on the occurrence of rejections or alerts on food safety and quality of spices in the international market and the agreements with importing countries.

How do the laboratories ensure the quality of analytical service?

All the QELs are equipped with state of art facilities and follow methods of analysis on par with international standards. The technical staff is well trained in the latest advancement in the field to ensure continuous improvement. The QELs are ISO 17025 (NABL) acreditted and constantly take part in national and international interlaboratory check sample programs and proficiency testing programs to self-assess the quality of analytical service.

How do the laboratories ensure the impartiality and confidentiality of analytical service?

Being a regulatory body, the laboratories do not involve in any spice business. The laboratories have well-defined policies and an internal mechanism of coding/decoding in place to ensure confidentiality and impartiality in the process of analysis.

What are the test performed in QEL?

Kindly visit www.indianspices.com (Quality – Analytical Services and Fee)

What is the sample size required and how many days it took for the analysis?

Kindly visit www.indianspices.com (Quality – Analytical Services and Fee)

What is the testing cost for each parameter ?

Kindly visit www.indianspices.com (Quality – Analytical Services and Fee)

Whether the Spices Board's Labs are NABL accredited?

Kindly visit www.indianspices.com (Quality- Quality Evaluation Laboratory)

Are there any training programs conducted by QELs?

Training organized for Exporters and Students from Universities and Colleges based on the request and number of candidates applied for.

Does the lab have high end machines for testing ?

Kindly visit www.indianspices.com (Quality- Quality Evaluation Laboratory)

Whom we need to contact for submission of sample and getting test results ?

The customer/Exporter has to contact the corresponding EPO/AD/DD of the Marketing office attached to Lab.

Which parameters fall under mandatory sampling and testing and respective permissible limits?

Please refer Spices Board, Circular No 19/2020 dated 31st December 2020, https://www.indianspices.com/indianspices/trade/trade-notifications/notificationdetails.html?id=192

What is ISO/IEC 17025 and its importance?

The Technical Competency and Test report's Reliability and Accuracy is assessed by an Independent Accreditation body which is accredited internationally and hence the report generated by the Lab with ISO/IEC 17025 Accreditation is accepted world wide.

Whether fresh forms of samples are tested in QELs?

No,since the lab is testing only Spices &Spices products which are in dried form,is only accepted for testing.

How can I send the samples and what packing is needed for Microbiological analysis?

Kindly visit www.indianspices.com (Quality – Analytical Services and Fee-Note part and samples for Microbiological testing to be send in aseptic,clean and sterile pouches/containeers)

Can I send one sample in one packet for Physical, Chemical and Biological testing ?

For Physical and Chemical testing parameters,one sample and for Microbiology sample analysis,aseptically packed sample as per sample size shown in the Form 75 under Analytical service of QUALITY from www.indianspices.com may be referred.

What is the procedure to export chilli to a foreign country?

Kindly visit our website https://www.indianspices.org.in/CRES_new/e-r-o/exporters-registration/form/Registration.php.

How to make payment for performing analysis?

Kindly visit https://www.indianspices.com/analytical-services-fees.html

Whether sample is received or not?

Contact respective Sample Reciept Desk.

Whether the analysis is complete or not?

After completing the analysis email communication will be sent , if email address is not updated please contact respective QEL/SRD for further guidance

How much time will it take to get the report?

Time duration will vary with parameter, for more details please visit https://www.indianspices.com/analytical-services-fees.html

आई सी आर आई का मुख्य उद्देश्य क्या है?

भारतीय इलायची अनुसंधान संस्थान का मुख्य उद्देश्य इलायची (छोटी एवं बड़ी) की उत्पादकता बढ़ाना एवं गुणवत्ता सुधार करना है जिससे निर्यात मांग को पूरा करने में मदद मिलेगी और इस प्रकार मसाले किसानों की निवल आय बढ़ोगी। अनुसंधान मुख्य रूप से केरल, कर्नाटक एवं तमिलनाडु के छोटी इलायची उगाने वाले भूभाग तथा उत्तर-पूर्वी राज्यों के बड़ी इलायची उगाने वाले क्षेत्रों पर केंद्रित है जिसमें पश्चिम बंगाल के कलिम्पोंग और दार्जिलिंग जिले शामिल हैं।

आई सी आर आई के मुख्य अनुसंधान क्षेत्र क्या-क्या हैं?

Mअनुसंधान के मुख्य क्षेत्र जैवप्रौद्योगिकी, फसल उत्पादन एवं प्रौद्योगिकी का अंतरण हैं। फसल सुधार कार्यक्रम में चयन एवं संकरण द्वारा जर्मप्लास्म संरक्षण, किस्म का सुधार शामिल है।

अंतरण प्रौद्योगिकी एवं किसान-उन्मुख कार्यक्रम क्या- क्या हैं?

1.बायो एजेंट उत्पादन 2.रोपण सामग्री वितरण 3.मसाला क्लिनिक्स 4.मृदा परीक्षण आधारित सलाहकार सेवाएँ 5.वैज्ञानिक फसल सलाहकार सेवाएँ 6. अल्प अवधि प्रशिक्षण कार्यक्रम 7.हितधारकों के लिए मौसम पूर्वानुमान सेवाएँ

एक किसान कैसे आई सी आर आई में मृदा परीक्षण सेवा उपलब्ध कर सकता है?

इलायची उत्पादकों से प्राप्त मृदा नमूने का सभी मुख्य, द्वितीय, सूक्ष्म पोषक तत्वों एवं पी एच के लिए विश्लेषण किया जाएगा और मृदा स्वास्थ्य कार्ड दिया जाएगा जिसमें उर्वरक सिफारिश शामिल है। इस सेवा इलायची उत्पादकों के लाभ के लिए बिना किसी लागत से प्रदान की जाती है।

आई सी आर आई में उपलब्ध गुणवत्ता वाली रोपण सामग्री क्या-क्या हैं?

किसानों को इलायची एवं काली मिर्च की गुणवत्ता वाली रोपण सामग्री की आपूर्ति की जाती है। किसानों की माँग के अनुसार इलायची सकर्स की आपूर्ति मई से सितंबर तक की जाती है। इलायची अंकुर की आपूर्ति मार्च से मई तक की जाती है। काली मिर्च की आपूर्ति जून से नवंबर तक की जाती है।

आई सी आर आई से आपूर्ति की गई रोपण सामग्री की लागत क्या है?

केरल. 1. इलायची: प्रति सकर रु.50/- 2.. काली मिर्च: विशिष्ट किस्में – प्रति पादप रु.15/- कर्नाटक1.इलायची बीज (कर्नाटक के लिए): रु.5000/किलोग्राम 2. इलायची बीज क्षतचिह्न रु.60/किलोग्राम 3.इलायची अंकुर –प्रति अंकुर रु.15/- 4. काली मिर्च: प्रति रूटेड कटिंग रु.15/-

आई सी आर आई द्वारा आयोजित अल्प अवधि प्रशिक्षण कार्यक्रम क्या-क्या हैं?

1. इलायची उत्पादन प्रौद्योगिकी 2. ई पी एन उत्पादन एवं अनुप्रयोग प्रौद्योगिकी 3. बायो एजेंट का उत्पादन एवं उपयोग (ट्राइकोडर्मा और स्यूडोमोनास)

क्या आईसीआरआई में यूजी/पीजी छात्रों के लिए इंटर्नशिप करने का कोई अवसर है? अगर है तो उसीके लिए शुल्क क्या होगा?

हाँ। यूजी/पीजी छात्रों के लिए इंटर्नशिप का शुल्क (प्रति माह) रु.3000/- है।

क्या आईसीआरआई में पीजी छात्रों के लिए प्रोजेक्ट करने का कोई अवसर है? यदि हां, तो उसीके लिए कितनी शुल्क होगा ?

हाँ। आईसीआरआई में पीजी छात्रों के लिए 3 महीने के लिए परियोजना करने का शुल्क 5000/- रुपये है (जैव प्रौद्योगिकी के लिए दर रु.7500/- है)। 6 महीने के लिए परियोजना करने का शुल्क 7500/- (जैव प्रौद्योगिकी के लिए दर रु.10000/- है)

छोटी इलायची के मुख्य मानसून रोग क्या-क्या हैं?

कैप्सूल विगलन एवं प्रकंद विगलन रोग

इन रोगों को कैसे नियंत्रित किया जा सकता है?

इन बीमारियों को निम्नलिखित तरीके से नियंत्रित किया जा सकता है; 1. मानसून की शुरुआत के पहले छाया नियमन 2.पादपों का ट्रैशिंग 3. पादप तल में पानी का प्रगतिरोध टालना 4. 1 प्रतिशत बोर्डो मिश्रण का छिड़काव एवं 0.2 प्रतिशत कॉपर ऑक्सी क्लोराइड का वृष्टिकरण (100 लीटर पानी में 20 ग्राम)

छोटी इलायची में कौन-कौन विषाणु रोग होते हैं?

कट्टे, नीलगिरी नेक्रोसिस और कोक्के कंडु

छोटी इलायची में विगलन रोगों के प्रबंधन के लिए उपयोग किए जाने वाले मुख्य जैव नियंत्रण एजेंट कौन से हैं?

ट्राइकोडर्मा हर्जियानम, स्यूडोमोनास फ्लोरेसेंस, बैसिलस सबटिलिस आदि छोटी इलायची में विगलन रोगों के प्रबंधन के लिए उपयोग किए जाने वाले मुख्य जैव नियंत्रण एजेंट हैं।

फुसैरियम रोग कब होता है और नियंत्रण के उपाय क्या हैं?

फुसैरियम रोग मानसून के बाद एवं गर्मियों के महीमों के अंत तक होता है। इन रोगों को निम्नलिखित तरीकों से नियंत्रित किया जा सकता है 1. मानसून ऋतु के बाद मृदा का काम किया जा सकता है। 2. उजागर हुए जड़ को उपर की मृदा से कवर करें 3. उचित मल्च प्रदान कर सकता है 4. आवश्यकतानुसार उचित सिंचाई प्गदान कर सकता है 5. आवश्यकतानुसार पर्याप्त छाया प्रदान करें

छोटी इलायची में प्रमुख कीट कौन-कौन से हैं?

थ्रिप्स, कैप्सूल एवं शूट बोरेर

छोटी इलायची में कौन-कौन से कीटनाशक लगा रहे हैं जो केंद्रीय कीटनाशी बोर्ड (सी आई बी) एवं पंजीकरण समिति में पंजीकृत हैं?

क्विनालफोस, डिफेंथियूरोन एवं लैम्ब्डा साइहलोथ्रिन

छोटी इलायची में हम रूट ग्रब इन्सिडेन्स को कैसे नियंत्रित कर सकते हैं?

प्रत्येक पादप के पदप तल पर चारों ओर एंटोमो पातोजेनिक निमेटोड (ई पी एन) का अनुप्रयोग करने से छोटी इलायची में रूट ग्रब इन्सिडेन्स को प्रभावी रूप से नियंत्रित कर सकते हैं।

छोटी इलायची में सूत्रकृमि ग्रसन के लक्षण क्या-क्या हैं?

पत्ते में रोज़ेट को दिखाई देना, चर्मिल एवं तंग पत्ता, टिलर में कम विकास प्रक्रिया एवं जड़ों में नोडों को दिखाई देना छोटी इलायची में सूत्रकृमि ग्रसन के लक्षण हैं।