भारतीय मसाला बोर्ड की स्थापना 1987 में, 52 मसालों और मसाला उत्पादों, जो इसके अधिकार क्षेत्र के अधीन आते हैं, के निर्यात को विकसित करने, बढ़ावा देने और विनियमित करने के लिए की गई थी। इलायची (छोटी और बड़ी दोनों) के उत्पादन, प्रसंस्करण, घरेलू विपणन और निर्यात को बढ़ावा देना भी इसमें शामिल है।
26 फरवरी 2022 को, स्पाइसेस बोर्ड ने राष्ट्र की सेवा में 35 गौरवशाली वर्ष पूरे किए। स्पाइसेस बोर्ड की स्थापना के बाद के इन वर्षों के उत्साह और स्वादपूर्ण यात्रा पर एक नज़र डालें:SPICES SAGA - 35 GLORIOUS YEARS OF SPICES BOARD
मसालों और मूल्य वर्धित मसाला उत्पादों के वैश्विक व्यापार की अगुवाई करते हुए भारत से कृषि निर्यात के विकास में योगदान देना ।
वैश्विक मसाला बाजार के औद्योगिक और खुदरा क्षेत्रों में स्वच्छ, सुरक्षित और मूल्य वर्धित मसालों और मसालों के उत्पादों का अंतर्राष्ट्रीय प्रसंस्करण केंद्र और प्रमुख आपूर्तिकर्ता बनना
सीआरईएस का मतलब है मसालों के निर्यातक के रूप में पंजीकरण प्रमाणपत्र है। मसालों/मसाला उत्पादों के निर्यात/आयात के मामले में, बोर्ड द्वारा जारी किया गया ‘मसालों के निर्यातक के रूप में पंजीकरण प्रमाणपत्र’ अनिवार्य है।
सीआरईएस से संबन्धित सूचना के लिए कृपया बोर्ड की वेबसाईट https://www.indianspices.org.in/CRES_new/e-r-o/exporters- registration/form/Registration.php देखें
किसी बदलाव/आशोधन के लिए निर्यातक को बोर्ड के निकटतम कार्यालय में संपर्क करना होगा और प्रत्येक संशोधन/आशोधन के लिए रु. 5000+जीएसटी शुल्क के रूप में देना होगा।
जी हाँ, सभी निर्यातकों को नियमित रूप से तिमाही निर्यात विवरणी प्रस्तुत करना अनिवार्य है। तिमाही निर्यात विवरणी ऑनलाइन में भारी जा सकती है ।
अनिवार्य नमूनन से संबन्धित जानकारी के लिए कृपया https://indianspices.com/trade/trade-notifictions/notificationdetails.html/id=192 देखें और अधिक जानकारी के लिए निर्यातक, स्पाईसेस बोर्ड के निकटतम गुणवत्ता मूल्यांकन प्रयोगशाला से संपर्क कर सकता है।
बोर्ड के सभी पंजीकृत निर्यातकों को यूज़र आई डी और पासवर्ड दिए जाते हैं। अगर यूज़र आई डी और पासवर्ड नहीं दिया गया है तो सीआरईएस संख्या के आधार पर लॉगिन और पासवर्ड जारी करने हेतु कृपया sampling.sb-ker@gov.in से संपर्क करें। एक बार आई डी और पासवर्ड मिलने के बाद www.indianspices.org.in जाकर आप सूचना प्रपत्र भर सकते हैं।
नीलामकर्ता अनुज्ञप्ति के लिए कृपया https://indianspices.com/marketing/auctioneer.html और ब्यौहारी अनुज्ञप्ति के लिए https://indianspices.com/marketing/dealer देखें।
इस साल में आयेजित अंतर्राष्ट्रीय प्रदर्शनी की सूची वेबसाईट में उपलब्ध है और सहभागिता के लिए इच्छुक निर्यातक publicity.sb-ker@gov.inमें संपर्क कर सकते हैं।
फोरिन ट्रेड इंक्वाइरी बुलेटिन एक पाक्षिक प्रकाशन है जिसे निर्यातकों के हित केलिए विभिन्न स्रोतों से एकत्रित व्यापार पूछताछों से तैयार किया जाता है। इसका परिचालन केवल ऑनलाइन के माध्यम से होता है और इसका वार्षिक दर रु. 600 है। अधिक जानकारी के लिए प्रचार विभाग से संपर्क करें, फोन: 91-484-2333610-616 ई-मेल : publicity.sb-ker@gov.in
कृपया https://indianspices.com/training-calender.html देखें
कृपया http://indianspices.org.in/CRES_new/e-r-o/exporters-registration/form/pre.pdf देखें।
व्यापारी निर्यातक वह व्यक्ति है जो विनिर्माता से सामग्री खरीदकर अपने फर्म के नाम पर निर्यात करके व्यापार गतिविधि में लगा रहता है । विनिर्माता निर्यातक वह व्यक्ति है जो माल का विनिर्माण करता है, प्रसंस्करण के ज़रिए मूल्य बढ़ाता है और उसका निर्यात करता है या निर्यात करने का इरादा रखता है।
कृपया https://indianspices.com/sites/default/files/Export_Development_Promotion.pdf देखें।
आपके निकटतम स्पाईसेस बोर्ड कार्यालय से संपर्क करें। अधिकारी से संबंधित विवरण के लिए कृपया https://indianspices.com/trade/trade-notifications/notifiicationdetails.html?id=203 देखें।
कृपया https://www.indianspices.com/export/major-itemwise-export.html और https://www.indianspices.com/marketing/import.html देखें।
स्पाइसेस बोर्ड, स्पाइसेस बोर्ड अधिनियम 1986 के अंतर्गत 26 फरवरी 1986 को पूर्ववर्ती इलायची बोर्ड एवं स्पाइस निर्यात संवर्धन परिषद् के विलयन से वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय, भारत सरकार के अंतर्गत गठित किया गया एक सांविधिक संगठन है जो 52 अनुसूचित मसालों के निर्यात संवर्धन और इलायची (छोटी एवं बड़ी) के विकास एवं अनुसंधान हेतु उत्तरदायी है। स्पाइसेस बोर्ड भारतीय मसालों के विकास एवं विश्वव्यापक संवर्धन के लिए अग्रणी संगठन है। बोर्ड भारतीय मसालों की उत्कृष्टता के लिए गतिविधियों की अगुवाई कर रहा है ताकि भारतीय मसाले उद्योग को अतर्राष्ट्रीय प्रसंस्करण हब एवं वैश्विक मसाले विपणन के औद्योगिक, खुदरा एवं खाद्य सेवा खण्डों के साफ़ एवं मूल्य वर्धित मसाले एवं शाक का मुख्य आपूर्तिकर्ता बनने की विज़न प्राप्त करने के लिए मदद मिल सके।
स्पाइसेस बोर्ड उत्पादन, उत्पादकता एवं गुणवत्ता सुधार करने के संदर्भ में इलायची (छोटी एवं बड़ी) के समग्र विकास के लिए उत्तरदायी है। बोर्ड निर्यात के लिए 52 अनुसूचित मसालों की गुणवत्ता सुधार के लिए कटाई-उपरांत सुधार कार्यक्रमों का कार्यान्वयन कर रहा है। बोर्ड के विविध विकास कार्यक्रम एवं कटाई-उपरांत गुणवत्ता सुधार कार्यक्रम ‘निर्यातोन्मुख उद्पादन’ के तहत शामिल किए गए हैं।
2021-22 से 2025-26 के दौरान बोर्ड रोपण सामग्री उत्पादन, इलायची (छोटी एवं बड़ी) के लिए पुनर्रोपण एवं सिंचाई सुविधाएँ, कटाई उपरांत सुधार उपकरणों की आपूर्ति, जैव खेती का संवर्धन, उत्तरपूर्वी क्षेत्र में निर्यात योग्य मसालों का उत्पादन, मसालों के कटाई उपरांत गुणवत्ता सुधार के लिए एफ पी ओ को समर्थन, मसाले सेक्टर में नवप्रवर्तन का संवर्धन, क्षेत्र स्तर पर बुनियादी गुणवत्ता परीक्षण उपकरणों की स्थापना, इलायची (छोटी) के लिए बीमा के लिए सहायता प्रदान करेगा। अधिक जानकारी के लिए लिंक देखें। लिंक
आधार कार्ड, बागान के भूमि कर रसीद/पर्चा/आर टी सी/ चिट्टा अडंगल/पनी, संबंधित क्षेत्रों की योजनाओं के लिए विनिर्दिष्ट बैंक पासबुक एवं अन्य समर्थक दस्तावेज़। अधिक जानकारी प्राप्त करने के लिए कृपया निकट के क्षेत्र कार्यालय से संपर्क करें।
विवरण प्राप्त करने के लिए स्पाइसेस बोर्ड के संबंधित कार्यालय से संपर्क करें और लिंक देखने पर बोर्ड के कार्यालयों का पता लगा सकता है। किसी भी मार्गदर्शन के लिए मुख्यालय, स्पाइसेस बोर्ड, कोच्ची, केरल से भी संपर्क कर सकते हैं। लिंक
मसाले के प्रदायकों के विवरण प्राप्त करने के लिए कृपया लिंक देखें। यहाँ क्लिक करें
अधिक जानकारी के लिए कृपया लिंक देखें। लिंक
अधिक जानकारी के लिए लिंक देखें। लिंक
मलबार पेप्पर, कूर्ग ग्रीन कार्डमम, आलप्पी ग्रीन कार्डमम, नागा चिल्ली, गुण्डूर सन्नम चिल्ली, ब्यादगी मिर्च, सिक्किम बड़ी इलायची, मिज़ो मिर्च, असम कारबियांगलोंग जिंजर, वैगन हल्दी, कंधमाल हल्दी, उत्तराखंड तेजपात, भिवपुर मिर्च, कश्मीर केसर एवंसिराराखोंग मिर्च एवंऔर सिराराखोंग मिर्च, दल्ले खुरचानी और कन्याकुमारी लौंग।
इनमें से मलबार पेप्पर, कूर्ग ग्रीन कार्डमम, आलप्पी ग्रीन कार्डमम, गुण्डूर सन्नम चिल्ली एवं ब्यादगी मिर्च स्पाइसेस बोर्ड के स्वामित्व के अधीन पंजीकृत किया हैं।
बड़ी इलायची, मिर्च, अदरक, हल्दी, दालचीनी एवं कालीमिर्च
अधिक जानकारी के लिए कृपया लिंक देखें। link
The process of ensuring the safety and quality of consignments of spices for the specified parameters before the export.
The spices for mandatory inspection are selected based on the occurrence of rejections or alerts on food safety and quality of spices in the international market and the agreements with importing countries
The parameters for mandatory inspection are selected based on the occurrence of rejections or alerts on food safety and quality of spices in the international market and the agreements with importing countries.
All the QELs are equipped with state of art facilities and follow methods of analysis on par with international standards. The technical staff is well trained in the latest advancement in the field to ensure continuous improvement. The QELs are ISO 17025 (NABL) acreditted and constantly take part in national and international interlaboratory check sample programs and proficiency testing programs to self-assess the quality of analytical service.
Being a regulatory body, the laboratories do not involve in any spice business. The laboratories have well-defined policies and an internal mechanism of coding/decoding in place to ensure confidentiality and impartiality in the process of analysis.
Kindly visit www.indianspices.com (Quality – Analytical Services and Fee)
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Kindly visit www.indianspices.com (Quality- Quality Evaluation Laboratory)
Training organized for Exporters and Students from Universities and Colleges based on the request and number of candidates applied for.
Kindly visit www.indianspices.com (Quality- Quality Evaluation Laboratory)
The customer/Exporter has to contact the corresponding EPO/AD/DD of the Marketing office attached to Lab.
Please refer Spices Board, Circular No 19/2020 dated 31st December 2020, https://www.indianspices.com/indianspices/trade/trade-notifications/notificationdetails.html?id=192
The Technical Competency and Test report's Reliability and Accuracy is assessed by an Independent Accreditation body which is accredited internationally and hence the report generated by the Lab with ISO/IEC 17025 Accreditation is accepted world wide.
No,since the lab is testing only Spices &Spices products which are in dried form,is only accepted for testing.
Kindly visit www.indianspices.com (Quality – Analytical Services and Fee-Note part and samples for Microbiological testing to be send in aseptic,clean and sterile pouches/containeers)
For Physical and Chemical testing parameters,one sample and for Microbiology sample analysis,aseptically packed sample as per sample size shown in the Form 75 under Analytical service of QUALITY from www.indianspices.com may be referred.
Kindly visit our website https://www.indianspices.org.in/CRES_new/e-r-o/exporters-registration/form/Registration.php.
Kindly visit https://www.indianspices.com/analytical-services-fees.html
Contact respective Sample Reciept Desk.
After completing the analysis email communication will be sent , if email address is not updated please contact respective QEL/SRD for further guidance
Time duration will vary with parameter, for more details please visit https://www.indianspices.com/analytical-services-fees.html
भारतीय इलायची अनुसंधान संस्थान का मुख्य उद्देश्य इलायची (छोटी एवं बड़ी) की उत्पादकता बढ़ाना एवं गुणवत्ता सुधार करना है जिससे निर्यात मांग को पूरा करने में मदद मिलेगी और इस प्रकार मसाले किसानों की निवल आय बढ़ोगी। अनुसंधान मुख्य रूप से केरल, कर्नाटक एवं तमिलनाडु के छोटी इलायची उगाने वाले भूभाग तथा उत्तर-पूर्वी राज्यों के बड़ी इलायची उगाने वाले क्षेत्रों पर केंद्रित है जिसमें पश्चिम बंगाल के कलिम्पोंग और दार्जिलिंग जिले शामिल हैं।
Mअनुसंधान के मुख्य क्षेत्र जैवप्रौद्योगिकी, फसल उत्पादन एवं प्रौद्योगिकी का अंतरण हैं। फसल सुधार कार्यक्रम में चयन एवं संकरण द्वारा जर्मप्लास्म संरक्षण, किस्म का सुधार शामिल है।
1.बायो एजेंट उत्पादन 2.रोपण सामग्री वितरण 3.मसाला क्लिनिक्स 4.मृदा परीक्षण आधारित सलाहकार सेवाएँ 5.वैज्ञानिक फसल सलाहकार सेवाएँ 6. अल्प अवधि प्रशिक्षण कार्यक्रम 7.हितधारकों के लिए मौसम पूर्वानुमान सेवाएँ
इलायची उत्पादकों से प्राप्त मृदा नमूने का सभी मुख्य, द्वितीय, सूक्ष्म पोषक तत्वों एवं पी एच के लिए विश्लेषण किया जाएगा और मृदा स्वास्थ्य कार्ड दिया जाएगा जिसमें उर्वरक सिफारिश शामिल है। इस सेवा इलायची उत्पादकों के लाभ के लिए बिना किसी लागत से प्रदान की जाती है।
किसानों को इलायची एवं काली मिर्च की गुणवत्ता वाली रोपण सामग्री की आपूर्ति की जाती है। किसानों की माँग के अनुसार इलायची सकर्स की आपूर्ति मई से सितंबर तक की जाती है। इलायची अंकुर की आपूर्ति मार्च से मई तक की जाती है। काली मिर्च की आपूर्ति जून से नवंबर तक की जाती है।
केरल. 1. इलायची: प्रति सकर रु.50/- 2.. काली मिर्च: विशिष्ट किस्में – प्रति पादप रु.15/- कर्नाटक1.इलायची बीज (कर्नाटक के लिए): रु.5000/किलोग्राम 2. इलायची बीज क्षतचिह्न रु.60/किलोग्राम 3.इलायची अंकुर –प्रति अंकुर रु.15/- 4. काली मिर्च: प्रति रूटेड कटिंग रु.15/-
1. इलायची उत्पादन प्रौद्योगिकी 2. ई पी एन उत्पादन एवं अनुप्रयोग प्रौद्योगिकी 3. बायो एजेंट का उत्पादन एवं उपयोग (ट्राइकोडर्मा और स्यूडोमोनास)
हाँ। यूजी/पीजी छात्रों के लिए इंटर्नशिप का शुल्क (प्रति माह) रु.3000/- है।
हाँ। आईसीआरआई में पीजी छात्रों के लिए 3 महीने के लिए परियोजना करने का शुल्क 5000/- रुपये है (जैव प्रौद्योगिकी के लिए दर रु.7500/- है)। 6 महीने के लिए परियोजना करने का शुल्क 7500/- (जैव प्रौद्योगिकी के लिए दर रु.10000/- है)
कैप्सूल विगलन एवं प्रकंद विगलन रोग
इन बीमारियों को निम्नलिखित तरीके से नियंत्रित किया जा सकता है; 1. मानसून की शुरुआत के पहले छाया नियमन 2.पादपों का ट्रैशिंग 3. पादप तल में पानी का प्रगतिरोध टालना 4. 1 प्रतिशत बोर्डो मिश्रण का छिड़काव एवं 0.2 प्रतिशत कॉपर ऑक्सी क्लोराइड का वृष्टिकरण (100 लीटर पानी में 20 ग्राम)
कट्टे, नीलगिरी नेक्रोसिस और कोक्के कंडु
ट्राइकोडर्मा हर्जियानम, स्यूडोमोनास फ्लोरेसेंस, बैसिलस सबटिलिस आदि छोटी इलायची में विगलन रोगों के प्रबंधन के लिए उपयोग किए जाने वाले मुख्य जैव नियंत्रण एजेंट हैं।
फुसैरियम रोग मानसून के बाद एवं गर्मियों के महीमों के अंत तक होता है। इन रोगों को निम्नलिखित तरीकों से नियंत्रित किया जा सकता है 1. मानसून ऋतु के बाद मृदा का काम किया जा सकता है। 2. उजागर हुए जड़ को उपर की मृदा से कवर करें 3. उचित मल्च प्रदान कर सकता है 4. आवश्यकतानुसार उचित सिंचाई प्गदान कर सकता है 5. आवश्यकतानुसार पर्याप्त छाया प्रदान करें
थ्रिप्स, कैप्सूल एवं शूट बोरेर
क्विनालफोस, डिफेंथियूरोन एवं लैम्ब्डा साइहलोथ्रिन
प्रत्येक पादप के पदप तल पर चारों ओर एंटोमो पातोजेनिक निमेटोड (ई पी एन) का अनुप्रयोग करने से छोटी इलायची में रूट ग्रब इन्सिडेन्स को प्रभावी रूप से नियंत्रित कर सकते हैं।
पत्ते में रोज़ेट को दिखाई देना, चर्मिल एवं तंग पत्ता, टिलर में कम विकास प्रक्रिया एवं जड़ों में नोडों को दिखाई देना छोटी इलायची में सूत्रकृमि ग्रसन के लक्षण हैं।