इन्डगैप
वैश्वीकरण ने विश्वव्यापक कृषि व्यापार में महत्वपूर्ण परिवर्तन किया है और कृषि उत्पाद के सोर्सिंग के लिए विकल्पों को बढ़ाया है। निर्यातक देशों द्वारा कृषि उत्पादों के लिए निर्धारित मानकों के अनुरूप होने के लिए नाशकजीवनाशी अवशेष, सूक्ष्मजीव संदूषण, अपमिश्रण आदि जैसे खाद्य सुरक्षा सरोकारों की जाँच करने के लिए कृषि प्रथाओं (नाशकजीवनाशी के साथ-साथ फसल कटाई एवं कटाई उपरांत प्रसंस्करण तकनीकी के उपयोग) पर कुछ मानकों को रखने होंगे।
खेत उत्पाद को जानबूझकर प्रतिस्पर्धात्मक बनाने के लिए वैश्विक स्तर पर स्वीकृत अच्छी कृषि प्रथाओं (जी ए पी) को खेत प्रथाओं में सम्मिलित करना आदर्श है। एफ ए ओ द्वारा निर्धारित जी ए पी है-“आर्थिक, सामाजिक एवं पर्यावरण वहनीयता के ध्यान में रखते हुए खेत पर उत्पादन एवं उत्पादन उपरांत प्रक्रियाओं में लागू करने के लिए सिद्धांतों का संग्रह, जिसके परिणामस्वरूप सुरक्षित एवं स्वस्थ खाद्य एवं गैर खाद्य कृषि उत्पाद प्राप्त होते हैं।
भारतीय गुणवत्ता परिषद्, भारत सरकार और भारतीय उद्योग द्वारा संयुक्त रूप से स्थापित एक संगठन है, जो राष्ट्रीय प्रत्यायन संरचना को स्थापित और संचालित करने और राष्ट्रीय गुणवत्ता अभियान के माध्यम से गुणवत्ता को बढ़ावा देने के लिए स्थापित है। अंतर्राष्ट्रीय बाजार में भारतीय मसालों की प्रतिस्पर्धात्मकता बढ़ाने के लिए, क्यू सी आई ने सितंबर 2014 में छोटे और सीमांत किसानों के लिए ईन्डगैप योजना शुरू की थी। ईन्डगैप मानकों को छोटे और सीमांत किसानों की जरूरतों के अनुरूप बनाया गया है, जो बहुसंख्यक हैं। भारत में, उन्हें चरणबद्ध तरीके से अंतर्राष्ट्रीय जीएपी तक ले जाने की अनुमति देता है।
इन्डगैप के दायरे में सभी कृषि उत्पाद, फसल उत्पाद एवं कृषि जैव विविधता मापांक शामिल है । यह उत्पाद की गुणवत्ता एवं मात्रा, फसल कटाई के पहले और बाद की प्रथाओं पर ध्यान केंद्रित करता है, जिसमें कार्मिकों के स्वास्थ्य एवं सुरक्षा एवं वाँछित मात्रा में उत्पाद का सुरक्षित एवं निरंतर आपूर्ति शामिल है।
स्पाइसेस बोर्ड एवं क्यू सी आई ने अंतर्राष्ट्रीय व्यापार में भारतीय मसालों की प्रतिस्पर्धात्मकता बढ़ाने के लिए ”ए ई पी के अनुरूप मसाले निर्यात को दोगुना करना एवं इन्डगैप प्रमाणीकरण द्वारा किसानें के आय में वृद्धि” शीर्षकवाली परियोजना के कार्यान्वयन हेतु एक सहमति ज्ञापन निष्पादित किया है। गुणवत्ता आश्वासन, कृषि जैव विविधता, ट्रेसबिलिटी, जी ए पी प्रमाणीकरण, सतत विकास लक्ष्यों का मानचित्रण, सामाजिक सुरक्षा एवं निर्यात संवर्धन एवं सतत निर्यात सुनिश्चित करना जैसे कई उद्देश्यों के साथ परियोजना की कल्पना की गई है। प्रथम चरण परियोजना के तहत जिन मसालों पर विचार किया गया है, वे हैं वारंगल में मिर्च, राजस्थान के दो जिलों -बाड़मेर और जालोर-में जीरा, इडुक्की में इलायची (छोटी) और चिकमंगलूर में कालीमिर्च।
मसालों के लिए इंडगैप में परियोजना प्रमाणन से उत्पाद की गुणवत्ता में समग्र सुधार और अच्छी कृषि पद्धतियों के बारे में जागरूकता आएगी।
संबंधित लिक्स
https://www.qcin.org/CAS/INDGAP
https://www.qcin.org/documents/GAP/INDIAGAP-FINAL.pdf