नागरिक चार्टर
स्पाइसेस बोर्ड
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हमारा मिशन
स्पाइसेस बोर्ड का गठन 1987 में मसाला बोर्ड अधिनियम 1986 के अधीन इलायची के उत्पादन/विकास और इस अधिनियम की अनुसूची में दर्शाए गए 52 मसालों के निर्यात संवर्धन की जिम्मेदारी के साथ हुआ । हम मसालों के विकास, उन्नयन और निर्यात–नियमन, मसालों के निर्यात हेतु प्रमाणपत्र के वितरण, मसालों के निर्यात को बढावा देने हेतु कार्यक्रमों व परियोजनाओं को चलाने, मसालों के प्रसंस्करण, गुणवत्ता, ग्रेडिंग और पैकेजिंग तकनीकों के उन्नयन, मसाला-निर्यात में मूल्य के स्थिरीकरण, मसालों के निर्यात हेतु ' गुणवत्ता चिह्नाँकन ' के जरिए उचित गुणवत्ता प्रतिमानों के विकास और गुणवत्ता-प्रमाणन पेश करने, निर्यात हेतु मसालों के गुणवत्ता नियंत्रण, मसालों के विनिर्माताओं को निर्यात केलिए शर्तों व निबन्धनों के अधीन लाइसेंस के वितरण, निर्यात के उन्नयन हेतु यदि आवश्यक हो, तो किसी भी मसाले के विपणन, मसालों केलिए विदेश में भण्डारण सुविधाएँ प्रदान करने, समाकलन और प्रकाशन केलिए मूल्य संबन्धी आँकडों के समाहरण, केन्द्रीय सरकार के पूर्वानुमोदन से बिक्री हेतु किसी भी मसाले का आयात करने और मसालों के आयात और निर्यात से जुडी बातों पर केन्द्रीय सरकार को सलाह देने के कार्य कर रहे हैं ।
हमारे मूल्य
हम निर्यातकों, कृषक समुदायों तथा अन्ततोगत्वा सामान्य जनता के साथ हमारा हर कार्य ईमानदारी, विवेक, पारदर्शिता और शिष्टाचार तथा समझौता पूर्वक करने हेतु वचनबद्ध हैं । हमारी सारी सेवाएँ और वचनबद्धता, नागरिक को बिना किसी रिश्वत के, प्राप्त हो जाएंगी ।
हमारी वचनबद्धता
हम, एक ईमानदार एवं सच्चे हितैषी के रूप में निर्यातकों को अधिकतम लाभ सुनिश्चित करनेवाले अधिदेश पूरा करने की प्रक्रिया विकसित करने में, कटाई-उपरान्त प्रौद्योगिकियों में काश्तकार समुदाय की सहायता करने केलिए निर्यातकों, कृषकों तथा आम जनता द्वारा आसानी से फायदा उठा पाने लायक गुणवत्ता मूल्यांकन प्रयोगशालाओं की स्थापना करते हुए उनके उत्पादों केलिए अन्तर्राष्ट्रीय गुणवत्ता प्रतिमानों के अनुरक्षण तथा पूर्णरूप से मसालों केलिए पार्कों की स्थापना के ज़रिए कृषक समुदाय को अपने उत्पादों के ग्रेडिंग, सफाई, पैकेजिंग और वेयर हाउसिंग में सहायता प्रदान करते हुए, लगातार कोशिश कर रहे हैं । हम वर्तमान नियमों को, यदि आवश्यक है तो सरल बनाने को वचनबद्ध हैं । हम अपने ग्राहक दलों, निर्यातकों/कृषकों, भारतीय मसाला उद्योग के अन्य पणधारियों से लगातार परामर्श करेंगे और बोर्ड से संबन्धित नियमों व कार्यवाहियों के सभी परिवर्तनों का समय-समय पर प्रचार-प्रसार करेंगे ।
प्रदत्त सेवाएँ
1. विकास स्कन्ध
स्पाइसेस बोर्ड इलायची(छोटी और बडी) के, खासकर इनके उत्पादन और उत्पादकता के, समग्र विकास का जिम्मदार है । मसालों का कटाई-उपरान्त संवर्धन कार्य भी स्पाइसेस बोर्ड को सौंपा गया है । इन लक्ष्यों को पाने केलिए बोर्ड केरल, कर्नाटक, तमिलनाडु और सिक्किम जैसे राज्यों में तथा पश्चिम बंगाल के दार्जीलिंग जिले में इलायची छोटी और बडी के पुन:रोपण और पुन:युवन केलिए विशेष उद्देश्य निधि जैसे कई विकासात्मक कार्यक्रम अमल कर रहा है । बोर्ड के अधिकारियों की तकनीकी निगरानी में कृषकों के खेतों में खोली गई प्रमाणित पौधशालाओं के ज़रिए रोगमुक्त, स्वस्थ एवं गुणवत्ता रोपण सामग्रियों का उत्पादन और वितरण भी किया जाता है ।
फार्म स्तर पर मसालों की गुणवत्ता बढाने, मसालों की जैव खेती को बढावा देने, एकीकृत नाशकजीव प्रबन्धन के आधार पर अनुकरणीय नमूनों को तैयार करने, उत्तर पूर्वी क्षेत्र में निर्यात-लायक मसालों का विकास करने, मसाले कृषकों को विस्तारण सेवा उपलब्ध कराने केलिए बोर्ड ने ' मसालों का निर्यातोन्मुख उत्पादन और कटाई-उपरान्त संवर्धन ' नामक योजना शुरू की है । बोर्ड के विकास स्कन्ध द्वारा मसालों केलिए चलाए जानेवाले कार्यक्रम निम्नलिखित हैं -
क) बीज मसाला थ्रेशरों का वितरण ( पावर चालित और हस्त चालित)
ख) कालीमिर्च थ्रेशरों का वितरण
ग) कालीमिर्च केलिए बाँस चटाइयों का वितरण
घ) मिर्च में एकीकृत नाशक जीव प्रबन्धन (आई पी एम) को बढावा, मसालों का
कटाई-उपरान्त संवर्द्धन
ड.) मसाले सुखाने केलिए सिलपॉलीन शीटों का वितरण, मसालों के गुणवत्ता संवर्धन
केलिए प्रशिक्षण कार्यक्रम
च) मसालों की जैव-खेती को बढावा (मसलों के जैव उत्पादन के लिए कृषकों को प्रेरित करने केलिए जैव खेत प्रमाणन सहायता, केंचुआ-कंपोस्ट यूनिट स्थापित करने केलिए सहायता, मसालों की जैव-खेती को बढावा आदि अमल किए जा रहे हैं ।)
छ) विस्तार सलाहकार सेवा (मसालों के उत्पादन की तकनीकी जानकारी कृषकों को प्रदान करना उत्पादकता बढाने का महत्वपूर्ण घटक है । यह कार्यक्रम वैयक्तिक संपर्क, क्षेत्र-दौरा, ग्रूप बैठक और स्थानीय भाषाओं में साहित्य के वितरण के जरिए केरल, कर्नाटक और तमिलनाडु में इलायची की उत्पादकता बढाने और गुणवत्ता-संवर्द्धन केलिए, सिक्किम और पश्चिम बंगाल राज्यों में बडी इलायची के तथा उत्तर पूर्व एवं देश के छोटे-छोटे इलाकों में चुने हुए मसालों के विकास केलिए इनकी खेती के वैज्ञानिक पहलुओं पर कृषकों को तकनीकी/विस्तारण सहायता देने पर ज़ोर देता है।)
II विपणन स्कन्ध
निर्यात विकास और संवर्धन
बोर्ड के विपणन विभाग द्वारा निर्यात विकास एवं संवर्धन कार्यक्रमों को रूपायित व कार्यान्वित किया जाता है । इन कार्यक्रमों का लक्ष्य, भारतीय मसालों केलिए निर्यात विपणि बढाने और बनाए रखने में आवश्यक प्रतिस्पर्धात्मक-सुविधा से सज्जित रहने केलिए निर्यातकों को सक्षम बनाना है । बोर्ड के विपणि विकास कार्यों का लक्ष्य गुणवत्ता, मूल्य योजन एवं प्रौद्योगिकी अंतरण/उन्नयन है ।
अनुज्ञप्तीकरण एवं रजिस्ट्रीकरण बोर्ड के नियामक कार्यों का भाग है । मसालों का निर्यात स्पाइसेस बोर्ड (निर्यातकों का रजिस्ट्रीकरण) विनियम 1989 के ज़रिए नियमित हैं जबकि इलायची का घरेलू विपणन इलायची (अनुज्ञप्तीकरण व विपणन) नियम 1987 के ज़रिए नियमित है । इन नियमों के अनुसार इलायची का व्यापार करने में इच्छुक किसी भी व्यक्ति को बोर्ड से नीलामकर्त्ता या ब्यौहारी के रूप में लाइसेंस प्राप्त करना है । मसालों के निर्यातकों को बोर्ड से रजिस्ट्रीकरण प्रमाणपत्र प्राप्त करना है । ये प्रमाणपत्र/लाइसेंस सितंबर से शुरू होनेवाले तीन सालों की एक खण्ड अवधि केलिए जारी किए जाते हैं ।
क्रेता देशों द्वारा निर्धारित गुणवत्ता विनिर्देश निर्यातकों को लगातार प्रदान किए जाते हैं । विपणि अध्ययन चलाकर विभिन्न विपणियों में उभरनेवाले अवसरों, खाद्य व खाद्येतर क्षेत्र के नए प्रयोगों व उपयोगों पर अद्यतन सूचना भी निर्यातकों को प्रदान की जाती है ।
निर्यातकों को/निर्यात संवर्धन केलिए निम्नलिखित सहायताएँ प्रदान की जाती हैं :-
क) हाई-टेक अपनाना एवं तकनोलजी उन्नयन
ख) गुणवत्ता नियंत्रण प्रयोगशाला की स्थापना/उन्नयन
ग) गुणवत्ता प्रमाणन, जाँच नमूनों का वैधीकरण तथा प्रयोगशाला
कार्मिकों का प्रशिक्षण
घ) व्यापार नमूनों को विदेश भेजना
ङ) उन्न्यन साहित्य/विवरण पुस्तिकाओं का मुद्रण
च) पैकेजिंग विकास और बार कोडिंग रजिस्ट्रीकरण
छ) व्यापारिक शिष्टमण्डलों/मेलों/प्रदर्शनियों में भाग लेने हेतु विपणि
विकास सहायता (एम डी ए)
ज) ब्रैण्ड संवर्धन ऋण योजना
झ) अंतर्राष्ट्रीय व्यापार मेलों/प्रदर्शनियों में भाग लेने हेतु
सहायता-अनुदान
ञ) अंतर्राष्ट्रीय बैठकों/सेमिनारों और शिष्टमण्डलों में निर्यातकों की प्रतिभागिता
ट) उत्तर पूर्वी क्षेत्र में विपणि विकास कार्यक्रम
ठ) उत्पाद विकास एवं अनुसंधान
(ii) विपणन स्कन्ध के अन्य क्रियाकलाप
(क) भारतीय मसाला लॉगो, जो मसालों की गुणवत्ता द्योतित करता है, मसालों के
विनिर्माता निर्यातकों को प्रदान किया जाता है ।
(ख) उन निर्यातकों, जिन्होंने सफाई, प्रसंस्करण, ग्रेडिंग., पैकेजिंग., वेअरहाउसिंग एवं गुणवत्ता आश्वासन केलिए अपेक्षित सुविधाएँ स्थापित की हैं, को मसाला भवन प्रमाणपत्र प्रदान किया जाता है । आई एस ओ एवं एच ए सी सी पी/जी एम पी प्रमाणपत्र अर्जित निर्यातक ही मसाला भवन प्रमाणपत्र के पात्र हैं ।
(ग) ' ब्रैंड नाम का रजिस्ट्रीकरण' का लक्ष्य भारतीय ब्रैंड नामों के अधीन उपभोक्ता पैकों में मसालों/मसाला उत्पादों के निर्यात का समर्थन करना और ब्रैण्डशुदा उपभोक्ता पैकों तीव्र गति से बढती विपणि में स्थान प्राप्त करना है 1 बोर्ड ने भारतीय पैकेजिंग संस्थान से परामर्श करके विभिन्न यूनिट वज़नोंवाले विविध मसालों केलिए पैकेजिंग स्तर विनिर्दिष्ट किए हैं ।
(घ) इलायची में इलेक्ट्रॉनिक – नीलाम प्रणाली बोर्ड ने छोटी इलायची के प्रमुख उत्पादक राज्य केरल और तमिलनाडु, जहाँ पर देश के 80 प्रतिशत छोटी इलायची का उत्पाद होता है, में हस्तचालित नीलाम प्रणाली के बदले इलेक्ट्रॉनिक नीलाम (इ-नीलाम) प्रणाली का प्रारंभ किया है । इ-नीलाम ने सौदे में वर्द्धित पारदर्शिता लाई है और किसानों को प्रतियोगी-मूल्य सुनिश्चित किया है । सभी पणधारियों की संतुष्टि के अनुरूप यह प्रणाली सफलतापूर्वक प्रवृत्त है।
(ड.) प्रमुख मसाले बढनेवाले/विपणन केन्द्रों में मसाला पार्क स्पाइसेस बोर्ड ने प्रमुख मसाले बढनेवाले/विपणन केन्द्रों में मसाला पार्क की संकल्पना लागू की है । मसाला पार्क मसालों के शुष्कन, सफाई, ग्रेडिंग, प्रसंस्करण पेषण(ग्रेडिंग), संदलन(क्रशिंग) आदि विसंक्रमण, छंटाई, पैकिंग. और वेअर हाउसिंग केलिए सामान्य सुविधाएँ प्रदान करेंगे । पार्क शुष्कन और पैकिंग सुविधाओं सहित खेत के पास ही न्यूनतम प्रसंस्करण सुविधाएँ भी प्रदान करेगा । किसानों से लेकर प्रसंस्करणकर्त्ताओं/निर्यातकों तक मसालों की अनुरेखणीयता का संपूर्ण प्रलेखन एक अन्य प्रत्याशित लाभ है । वितरण ऋंखला में से दो-तीन कडियों को समाप्त करने से किसानों को बेहतर मूल्य प्राप्ति सुनिश्चित होगी जिससे उन्हें सशक्त बना सकता है । बोर्ड ने निम्न स्थानों में मसाला पार्क स्थापित करने जाने की पहल की है –
1.छिन्दवाडा(मध्यप्रदेश) 2. इडुक्की(केरल) 3. गुण्टूर(आन्ध्रप्रदेश) 4. शिवगंगा(तमिलनाडु) 5. जोधपुर(राजस्थान) 6. कोटा(राजस्थान) 7. मेहसाना(गुजरात) 8. गुना(मध्यप्रदेश) 9. रायबरेली (उत्तर प्रदेश) और हम्मीरपुर (हिमाचल प्रदेश)।
च. निम्नलिखित के नमूनन और जाँच:
(1) सभी देशों केलिए मिर्च / मिर्च मिलाए उत्पादोँ/ हल्दी मेँ 'सुडान I-IV डाई'
(2) सभी देशों केलिए मिर्च / मिर्च मिलाए उत्पादोँ में एफ्लाटोक्सिन्स
(3) ई यू देशोँ केलिए अदरक, हल्दी, जायफल और जावित्री मेँ एफ्लाटोक्सिन्स
(4) जापान केलिए जीरा और मिर्च में नाशीजीवनाशी अवशेष
(5) ई यू देशोँ केलिए करी पत्ते मेँ नाशीजीवनाशी अवशेष
(6) सभी देशोँ केलिए चीनी लेपित बडी सौंफ मेँ सणसेट येल्लो
(7) सभी देशोँ केलिए जीरे मेँ अन्य बीज और बाहरी तत्व
छ. स्पाइसेस बोर्ड में तथा अंतर्राष्ट्रीय मेलों में प्रतिभागिता के दौरान प्राप्त व्यापार पूछताछें स्पाइसेस बोर्ड द्वारा प्रकाशित ' फोरिन ट्रेड एन्क्वयरी बुलेटिन ' में प्रकाशित की जाती हैं ।
ज. मसालों का भौगोलिक संसूचना रजिस्ट्रीकरण
झ. मसालों के निर्यात, आयात, क्षेत्र, उत्पादन व घरेलू तथा अंतर्राष्ट्रीय मूल्यों से संबन्धित सांख्यिकी का संग्रहण, संकलन, विश्लेषण तथा प्रसारण । इण्डिया पेप्पर एण्ड स्पाइस ट्रेड एसोसिएशन, कृषि उत्पाद विपणन समितियाँ, व्यापारी संघ, अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार केंद्र, जनेवा जैसे विभिन्न अभिकरणों से प्राप्त घरेलू और अन्तर्राष्ट्रीय मूल्यों का समेकन करके ' स्पाइसेस मार्केट ' बुलेटिन और बोर्ड के वेबसाइट द्वारा वितरित किया गया ।
विपणन स्कन्ध द्वारा उपभोक्ताओं को मदद देने हेतु प्रमुख कार्यकलाप – तालिका बद्ध रूप में - लिंक पर क्लिक करें
गुणवत्ता मूल्यांकन प्रयोगशाला
भारतीय मसाला उद्योग को विश्लेषण सेवाएँ प्रदान करने तथा देश में उत्पादित तथा प्रसंस्कृत मसालों की गुणवत्ता मॉनीटर करने केलिए कोच्ची में 1989 में सर्वप्रथम गुणवत्ता मूल्यांकन प्रयोगशाला की स्थापना की गई । भौतिक, रासायनिक तथा नाशीजीवनाशी अवशेषों, एफ्लाटोक्सिन, सूक्ष्म धातु आदि और सुडान डाई जैसे कृत्रिम रंजकों सहित सूक्ष्म जैविक संदूषकों के विश्लेषण की सुविधा यहाँ पर है और प्रयोगशाला में विश्लेषण केलिए अंतर्राष्ट्रीय तौर पर स्वीकृत जाँच-विधियों का अनुसरण किया जाता है । कोच्ची की प्रयोगशाला को ब्रिटीश स्टैण्डर्ड्स इन्स्टिट्यूशन यू.के. द्वारा आई एस ओ 9001:2008 गुणवत्ता प्रबन्धन प्रणाली केलिए क्रमश: 1997 और 1999 से प्रमाणित है । वर्ष 2004 से लेकर यह प्रयोगशाला आई एस ओ/आई ई सी 17025 के तहत राष्ट्रीय जाँच अंशांकन प्रयोगशाला प्रत्यायन बोर्ड (एन ए बी एल), विज्ञान व प्रौद्योगिकी विभाग, भारत सरकार द्वारा भी प्रत्यायित है । यह प्रयोगशाला आयातक देशों की अपेक्षा के अनुसार विश्लेषण कार्य चलाने केलिए एम एस/एम एस ' क्यू' ट्रैप सुविधावाली एच पी एल सी और जी सी एम एस प्रणालियों सहित नूतन प्रौद्योगिकी से सुसज्जित है ।
प्रादेशिक केन्द्रों में प्रयोगशालाएँ स्थापित करने केलिए मसाला उद्योग की बढती मांग ने प्रादेशिक केन्द्रों में प्रयोगशालाओं की स्थापना को जरूरी बनाया। निर्यातित उत्पादों विश्लेषण करने तथा उन्हें अपने विदेशी क्रेताओं द्वारा निर्धारित गुणवत्ता मानकों के अनुरूप बनाने केलिए, जिससे गुणवत्ता पहलुओं पर क्रेता देशों के ग्राहकों का विश्वास बढेगा, निर्यात समुदाय को सुसज्जित करने के उद्देश्य से बोर्ड कोचिन, मुम्बई और गुण्टूर में वर्तमान तौर पर कार्यरत प्रयोगशालाओं के अलावा विभिन्न केन्द्रों में प्रादेशिक गुणवत्ता मूल्यांकन प्रयोगशाला तथा प्रशिक्षण केन्द्रों की भी स्थापना करने जा रहा है । चेन्नई, दिल्ली, कोलकत्ता, तूत्तुकोरिन व काण्डला ऐसे अन्य केन्द्र हैं, जहाँ गुणवत्ता मूल्यांकन प्रयोगशालाओं का निर्माण कार्य जारी हैं - वे हैं -
गुणवत्ता मूल्यॉंकन प्रयोगशाला द्वारा प्रदान की जानेवाली सेवाएँ :-
(क) संविदा आधार पर कार्यरत विश्लेषक के लिए प्रशिक्षण
'' पढाई के दौरान कमाई " कार्यक्रम के अधीन, प्रयोगशाला में हर साल संविदा आधार पर विश्लेषक के रूप में काम करने हेतु आसपास के कॉलेजों से बी.एस.सी/ एम.एस.सी के अंतिम वर्ष के छात्रों की भर्ती की जाती है । अपने एक साल तक के सेवाकाल के उपरांत इन छात्रों को मसाला उद्योग/समान संगठनों में अच्छी नौकरी की गुंजाइश भी रहती है ।
(ख) विधिमान्यकरण/जाँच नमूना कार्यक्रम
अपनाए जानेवाले विश्लेषण तरीकों के विधिमान्यकरण केलिए प्रयोगशाला अंतर्राष्ट्रीय एजेंसियों द्वारा आयोजित जाँच नमूना/विधिमान्यकरण कार्यक्रमों में भाग लेती है । प्रयोगशाला "फूड एनालिसिस प्रोफिशयन्सी एसेसमेंन्ट स्कीम (एफ ए पी ए एस) केन्द्रीय विज्ञान प्रयोगशाला, यू-के कैम्पदेन व कोर्लीवूड फूड रिसर्च एसोसिएशन(सी सी एफ आर ए) , यू .के. अंतर्राष्ट्रीय कालीमिर्च समुदाय (आई पी सी), जकार्ता द्वारा आयोजित जाँच नमूना कार्यक्रमों में तथा एन ए बी एल द्वारा आयोजित दक्षता जाँच कार्यक्रम में नियमित रूप से भाग लेती है । उपर्युक्त के अलावा, प्रयोगशाला, प्रमुख आयातित देशों की विभिन्न प्रयोगशालाओं तथा भारत की मसाला निर्यात इकाइयों से जुडी प्रयोगशालाओं के साथ प्रमुख पैरामीटरों केलिए विधिमान्यकरण कार्यक्रमों में भी भाग लेती है । इस कार्यक्रम के अधीन नमूनों को इकट्ठा व तैयार करके विभिन्न प्रतिभागी प्रयोगशालाओं को भेज दिया जाता है ।
(ग) मसालों व मसाले उत्पादों के विश्लेषण पर प्रशिक्षण
प्रयोगशाला मसाला उद्योग के तकनीकी कार्मिकों, सरकारी पदाधिकारियों तथा एन.जी.ओ. को मसालों व मसाले उत्पादों के विश्लेषण पर प्रशिक्षण प्रदान करती है। उद्योग की ज़रूरतों की पूर्ति केलिए पाँच दिनों की अवधि केलिए विशेष प्रशिक्षण कार्यक्रम तैयार किया जाता है । भौतिक-रासायनिक विश्लेषण, नाशीजीवनाशी अवशेष विश्लेषण, सुडान I-IV विश्लेषण, एफ्लाटोक्सिन व सूक्ष्मजीवीय तकनीकों के क्षेत्र में नियमित रूप से प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं । इस कार्यक्रम का लक्ष्य मसाला/मसाले उत्पाद उद्योग में कार्यरत तकनीकी कार्मिकों की विश्लेषण क्षमताओं का उन्नयन करना व उनको अद्यतन बनाना है ।
(घ) प्रयोगशालाओं की स्थापना केलिए सहायता
निर्यातकों, सरकारी विश्लेषण प्रयोगशालाओं तथा एन.जी.ओ. से जुडी हुई प्रयोगशालाओं के स्तर पर गुणवत्ता नियंत्रण प्रयोगशालाओं की स्थापना केलिए सहायता देना स्पाइसेस बोर्ड का एक कार्यक्रम है । बोर्ड द्वारा अनुमोदित योजनाओं के अधीन उपकरणों का इंतज़ाम करने केलिए वित्तीय सहायता प्रदान की जाती है । प्रयोगशाला के स्टाफ उपर्युक्त प्रयोगशालाओं के तकनीकी कार्मिकों को परिष्कृत उपकरणों के प्रयोग पर प्रशिक्षण देते हैं । मसालों/मसाले उत्पादों की निर्यात इकाइयों से लगी हुई प्रयोगशालाओं की स्थापना केलिए स्पाइसेस बोर्ड की योजना के अधीन इमदाद उपलब्ध कराने केलिए हमारे प्रयोगशाला-स्टाफ योजना के अधीन खरीदे गए विविध उपकरणों पर हमारे विपणन अनुभाग को तकनीकी जानकारी प्रदान करते हैं ।
(ड.) विनिर्देशों व विश्लेषण प्रणालियों का संकलन
प्रयोगशाला ने प्रमुख आयातक देशों के विनियमों व गुणवत्ता विनिर्देशों पर सूचनाओं का संकलन किया है । संकलित सूचनाओं को अद्यतन बनाकर '' निर्यात हेतु मसालों की गुणवत्ता अपेक्षाएं ' नामक एक पुस्तक के रूप में निर्यातकों को उपलब्ध कराया जाता है । " स्पाइसेस बोर्ड के औपचारिक विश्लेषण तरीके " के रूप में प्रयोगशाला ने मसालों के जाँच तरीकों का प्रकाशन भी किया है ।
(च) कोडेक्स/आई पी सी/बी आई एस/आई एस ओ बैठकों में प्रतिभागिता
बोर्ड कोडेक्स एलिमेन्टारियस कमीशन/आई पी सी/आई एस ओ क्रियाकलापों में भाग लेता है । स्पाइसेस बोर्ड राष्ट्रीय कोडेक्स समिति का सदस्य है । आई एस ओ के अधीन मसालों व मसाले मिश्रणों केलिए आई एस ओ/टी सी 34/एस सी 7 समिति के अध्यक्ष का पद स्पाइसेस बोर्ड के अध्यक्ष तथा सचिवालय भारतीय मानक ब्यूरो(बी आई एस), नई दिल्ली धारण करते हैं । सामान्यत: उपर्युक्त समिति की बैठक मसाले/मसाले उत्पाद क्षेत्र के अपने सदस्यों की सक्रिय प्रतिभागिता केलिए कोचिन स्थित स्पाइसेस बोर्ड कार्यालय में आयोजित होती है । उपर्युक्त बैठक केलिए सारा प्रबन्धन प्रयोगशाला करती है । इन सभी बैठकों में भागीदारी केलिए सामग्रियाँ/टिप्पणियाँ प्रयोगशाला प्रदान करती है ।
छ) विभिन्न मानकों का सामंजस्य/स्थापना
विभिन्न देशीय/अंतर्देशीय एजेंसियों के अधीन मसालों केलिए मानकों के सामंजस्य की प्रक्रिया में स्पाइसेस बोर्ड सक्रिय रूप से भाग ले रहा है । प्रयोगशाला द्वारा सुझाए गए विनिर्देश तथा प्रस्तावित विश्लेषण प्रणालियाँ अंतर्राष्ट्रीय कालीमिर्च समुदाय(आई पी सी) के विनिर्देशों से मेल खाती हैं । प्रयोगशाला, कोडेक्स एलिमेन्टारियस कमीशन, आई एस ओ जैसे अंतर्राष्ट्रीय संगठनों में नाशीजीवनाशी अवशेषों के एम आर एलों की स्थापना केलिए डाटा प्रदान करती है । प्रयोगशाला विभिन्न दस्तावेजों/प्रतिमानों केलिए सामग्री भी प्रदान करती है ।
III . अनुसंधान स्कन्ध
भारतीय इलायची अनुसंधान संस्थान को दिए गए अनुसंधान का लक्ष्य एक तरफ इलायची( बडी व छोटी) की उत्पादकता बढाते हुए मसाला मृषकों की कुल आमदनी बढाना तथा निर्यात की बढती मांग की पूर्ति केलिए पर्याप्त अधिशेष उत्पादित करना है । यह अनुसंधान केरल, तमिलनाडु तथा कर्नाटक के छोटी इलायची वाले इलाकों तथा उत्तर-पूर्वी राज्यों के बडी इलायची बढानेवाले इलाकों के मध्यम व कम उत्पादन क्षेत्रों में उत्पादन व उत्पादकता बढाने को लक्ष्य करता है । अनुसंधान विभाग द्वारा चलाए जानेवाला प्रमुख कार्यकलाप कृषक प्रतिभागितावाले अनुसन्धान व तकनोलजी मूल्यांकन हैं ।
कृषक प्रतिभागितावाले अनुसन्धान कार्यक्रम
(क) आई सी आर आई – 5 हाइब्रिड क्लोन का मूल्यांकन
(ख) वयनाडु में आई सी आर आई – 7 का प्रदर्शन
(ग) जी ए पी का प्रदर्शन
(घ) ई पी एन का प्रदर्शन
(ड.) नीम गरी जलीय निकष(एन के ए ई)
(च) राष्ट्रीय कृषि नवाचार परियोजना के अधीन एल सी तकनीकी का क्लस्टर
आधार पर प्रदर्शन ।
अनुसन्धान के मुख्य क्षेत्र
(क) फसल सुधार
(ख) फसल प्रबन्धन
(ग) फसल सुरक्षा
(घ) फसलोत्तर प्रौद्योगिकी
(ड.) जैव खेती
(च) विस्तार अनुसंधान
पारि-तंत्र संरक्षण व सुरक्षा
(क) जर्मप्लाज्म़ (जननद्रव्य)
(ख) नाशीजीव निगरानी
(ग) मौसम जाँच व फसल प्रभाव अध्ययन
(घ) नाशीजीवनाशी अवशेषों का मानीटरिंग
(ड.) मृदा स्वास्थ्य-विश्लेषण
चिरस्थाई उत्पादन प्रौद्योगिकी
(क) उपजाति-विकास
(ख) एकीकृत नाशीजीव व रोग प्रबन्धन
(ग) एकीकृत पोषक प्रबन्धन
कृषकोन्मुख कार्यक्रम
(क) जैव अभिकारक उत्पादन
(ख) मृदा- जाँच पर आधारित सलाहकार सेवाएँ
(ग) वैज्ञानिक फसल उत्पादन सेवाएँ
(घ) अल्पकालीन प्रशिक्षण कार्यक्रम
अनुसंधान विभाग द्वारा प्रदत्त सेवाएँ
(क) मृदा/पौधा-जाँच तथा उर्वरक सिफारिश
(ख) स्थान विशेष मौसम पूर्वसूचना तथा मौसम सुरक्षा सलाह सेवाएँ
(ग) गुणवत्तावाले जैव-अभिकारकों की आपूर्ति तथा आई पी एम सलाह सेवाएँ
(घ) सकेन्द्रित गुणवत्ता रोपण सामग्रियों की आपूर्ति
(ड.) विशेष ग्राहक गण-विस्तार कार्मिक, कृषक, पर्यवेक्षक स्टाफ, एन जी ओ तथा
एस एच जी को लक्ष्य करके अल्पकालीन व दीर्घ कालीन प्रशिक्षण कार्यक्रम ।
(च) इलायची बागानों की स्थापना व रख-रखाव केलिए सलाहकार सेवाएँ
(छ) मोबाइल स्पाइस क्लिनिक
(ज) नाशीजीवनाशी अवशेष विश्लेषण तथा सलाहकार सेवाएँ ।
स्पाइसेस बोर्ड शिकायत सेल
स्टाफ तथा लोक शिकायतें
बोर्ड के सचिव की सीधी निगरानी में एक शिकायत सेल कार्यरत है और लोक तथा स्टाफ दोनों केलिए वे पूर्णकालिक शिकायत अधिकारी हैं । इनके अलावा, बाहरी कार्यालयों केलिए, प्रत्येक बाहरी कार्यालय के प्रभारी अधिकारी को शिकायत निवारण अधिकारी के रूप में मनोनीत किया गया है । किसी शिकायत निवारण अधिकारी द्वारा प्राप्त शिकायत का अगर उनके स्तर पर ही निवारण किया जा सकता है तो उन्हें तुरंत ही निपटाया जाता है अन्यथा ऐसे मामलों को बोर्ड के सचिव को प्रस्तुत किया जाता है।
कोचिन स्थित स्पाइसेस बोर्ड कार्यालय के रिसेप्शन बे में एक शिकायत बॉक्स रखा गया है जिसमें कोई भी अपनी शिकायत डाल सकता है । रिसेप्शन बे में सी वी ओ, अध्यक्ष, सचिव तथा केन्द्रीय सकतर्कता आयोग पता, संपर्क संख्या आदि जनता को सूचित करते हुए एक सूचना पट्ट भी रखा गया है । ऐसा शिकायत बॉक्स बोर्ड के प्रत्येक कार्यालय में रखा गया है जिसमें कोई भी शिकायत डाल सकता है । सी वी सी के वेबसाइट के अनुरूप स्पाइसेस बोर्ड के वेबसाइट के ज़रिए लोगों को अपनी शिकायत दर्ज करने की सुविधा भी प्रदान की गई है । बोर्ड में हर बुधवार ' बैठक रहित दिवस ' के रूप में मनाया जाता है और आम जनता बिना किसी पूर्वसूचना के उस दिन दुपहर बाद 3.30 से 4.30 बजे तक अधिकारियों से मिल सकती है ।
सूचना का अधिकार
स्पाइसेस बोर्ड ने सूचना का अधिकार अधिनियम 2005 लागू किया है और विभाग के वेबसाइट में आवश्यक प्रणालियों व कार्यविधियों का विवरण दिया है । बोर्ड ने अधिनियम को ध्यान में रखते हुए एक केन्द्रीय लोक सूचना अधिकारी (सी पी आई ओ), सहायक केन्द्रीय लोक सूचना अधिकारी तथा अनेक लोक सूचना अधिकारियों की नियुक्ति की है और अपील केलिए एक क्रियाविधि तैयार की है । सचिव, स्पाइसेस बोर्ड अपीलीय अधिकारी है । अधिनियम के अधीन भारत का कोई भी नागरिक सी.पी.आई.ओ. से सूचना की मांग कर सकता हैं । स्पाइसेस बोर्ड के समन्वयक सी.पी.आई.ओ. श्री प्रभु प्रताप कणेल, उप निदेशक, स्पाइसेस बोर्ड, सुगन्धभवन, एन.एच बाइपास रोड, कोचिन है। श्री जिजेष टी दास, उप निदेशक( ई डी पी) है। श्री पी.एम.सुरेषकुमार, बोर्ड का सचिव अपीलीय अधिकारी और नोडल अधिकारी है ।
मार्गदर्शन व सहायता
स्पाइसेस बोर्ड, मुख्यालय में मार्ग-निर्देश एवं सहायता केलिए प्रचार विभाग के प्रभार वाले सहायक निदेशक के नेतृत्व में हमारा एक जन संपर्क कार्यालय है और टेलीफोण सं.2333610-एक्स्टेंशन-259 पर आपके बुलावों का बोर्ड स्वागत करता है ।
उपर्युक्त के अलावा, स्पाइसेस बोर्ड से संबन्धित कोई भी और सब-कुछ अद्यतन जानकारी हमारी वेबसाइट http:indianspices.com में उपलब्ध है ।
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