अजमोद
अजमोद
वानस्पतिक नाम
पेट्रोसेलिनम क्रिस्पमपरिवार
एपिएसीवाणिज्यिक अंग
बीजविवरण
अजमोद सघन पर्णावली और सफेद फूलों वाली द्विवार्षिक शाक का सूखा ऐरोमाटिक पत्ता है। चमकीले हरे पत्ते विभाजित सिकुडे हुए हैं। बागवानी अजमोद के दो प्रमुख प्रकार हैं। एक जो पत्तों केलिए बढाई जाती हैं, भारत में पाई जाती है और दूसरी जो है टरनिप जैसी जडों केलिए बढाई जाती है। फूलनेवाला डंठल दूसरे साल में 100 से.मी. की ऊँचाई तक पहुँचता है। संयोजित पुष्पछत्रों वाले फूल पीले या पीतयुक्त हरित होते हैं। फल 2.3 मि.मी. लंबे, चापाकार, स्पष्टतया कठोर एवं दो फलभित्तियों वाला है। पत्ते और बीज मसाले के रूप में प्रयुक्त होते हैं। इसमें मौजूद वाष्पशील तेल के कारण इस शाक की अपनी सविशेष, सुखद एवं मसालेदार गन्ध होती है।
व्युत्पत्ति और प्रसारण
अजमोद सरदीनिया देशी है और व्यापक पैमाने पर मेडिट्टरेनियन क्षेत्र एवं यू एस ए में बढाई जाती है। यह मेक्सिको, डोमिनिकन रिपब्लिक, कनाडा, पश्चिम जर्मनी, हेयती, फ्रान्स, हंगरी, बल्जियम, इटली, स्पेइन एवं यूगोस्लाविया में भी बढती है । अजमोद एक शीत जलवायु की फसल है जो अधिक नमीवाली मिट्टी में खूब बढती है। भारत में यह उच्चतर उत्तुंग में अच्छीतरह बढती है।
उपयोग
अजमोद आम तौर पर खाद्यों की पकाई एवं बघारने में प्रयुक्त होती है। ताज़े रूप में यह सलादों के साथ खाया जाता हैं और सूप, स्टयू एवं सॉस में इसका इस्तेमाल होता है। माँंस एवं मुरगी की पकाई में भी इसको काम में लाया जाता हैं। सूप बनाने में इसकी जडें सब्जी के रूप में प्रयुक्त होती हैं। इसके सूखे पत्ते और इसकी जडें मसाला .मिश्रण के रूप में काम में लाए जाते हैं। इस शाक की मूत्रवर्ध्दक, वातहर, ज्वरहर गुण-विशेषताएँ होती हैं। तेज़ पत्तों का रस कीटनाशी के रूप में प्रयुक्त होता है। अजमोद शाक तेल और अजमोद बीज तेल बाप आसवन से प्राप्त होता है।
भारतीय नाम
हिन्दी - अजमोद कन्नड - अच्चू-मूडा मलयालम - शीमा मल्ली
विदेशी नाम
अरबी :Baqdounis चीनी :Xiang cai डच :Peterselie फ्रांसीसी :Persil इटालियन :Prezzemolo जर्मन :Petersil ग्रीक :Petroselinon जापानीस :Paseri