इलायची(छोटी)

इलायची(छोटी)
वानस्पतिक नाम
इलेट्टरिया कार्डमोमं माटॅनपरिवार
जिंजिबेरेसीवाणिज्यिक अंग
फल(संपुट)विवरण
वाणिज्यिक इलायची, इलायची पौधे का पक्व, शुष्क फल (संपुट) है, जिसको अपने अनोखे सुगंध व स्वाद के कारण अक्सर 'मसालों की रानी' कहा जाता है। इलायची एक बारहमासी , शाकीय, प्रकन्दीय पौधा है। पुष्प-गुच्छों की प्रकृति के आधार पर तीन किस्में पहचान ली गई है ,जेसे - भूशाई पुष्प-गुच्छों वाला मलबार किस्म, ऊर्ध्व पुष्प गुच्छों वाला मैसूर किस्म तथा अर्द्ध-ऊर्ध्व पुष्प-गुच्छों वाला वषुक्का किस्म। मलबार किस्म के पौधे रोमिल पत्ते वाले (अपाक्ष भाग में) मध्यम आकार के (दो से तीन मीटर ऊंचाई वाले) तथा इसके फल गोलाकार के होते हैं, जबकि मैसूर किस्म के पौधे (तीन से चार मीटर ऊँचाईवाले) तगडे, दोनों भागों पर अरोमिल पत्तों सहित और संपुट अण्डाकार होते हैं। वषुक्का किस्म के भौतिक गुणों में ऊपर के दोनों किस्मों का मिश्रण पाया जाता है।
अंतर्राष्ट्रीय विपनियों में विभिन्न ग्रेडों की भारतीय इलायची पेश की जाती है: -'आलप्पी ग्रीन एक्स्ट्रा बोल्ड'(ए जी ई बी), 'आलप्पी ग्रीन बोल्ड' (ए जी बी) और 'आलप्पी ग्रीन सुपीरियर' (ए जी एस) पूरी दुनिया को क्षण भर में मंत्रमुग्ध करने वाले नाम हैं। इलायची तेल खाद्य उत्पादों, इत्रसाजों, स्वास्थ्य बढानेवाले खाद्यों, दवाइयों व पेयों में अत्यंत जरूरी घटक है। भारत, मध्य-पूर्वी देशों में इलायची का परम्परागत निर्यातक है, जहाँ इसका अधिकतर उपयोग एक तेज इलायची- कॉफी काढा 'गहवा' बनाने में होता है जिसके बिना किसी भी अरबवासी केलिए अपना एक दिन काटना या किसी दावत का हार्दिक होना मुश्किल है। मध्य पूर्वी देश, जापान व रूस के लोगों के लिए भारतीय इलायची बहुत पसंदीदा है। इसके अनुपम गुणों के लिए यहां के लोग इसकी लजीज लेते हैं।
व्युत्पत्ति और प्रसारण
इलायची की खेती ज्यादातर दक्षिण भारत के पश्चिमी घाट के सदाबहार जंगलों में की जाती है। वाणिज्यिक फसल के रूप में भारत के अलावा ग्वाटेमाला में और छोटे पैमाने पर तानजानिया, श्रीलंका, एलसालवडोर, वियतनाम, लावोस, थाईलैण्ड, कम्बोडिया, होण्डुरास और पापुआ व न्यूगिनी में इलायची की खेती की जाती है। इलायची बढ़ाने की अनुकूलतम तुंगता एम एस एल से 600 से 1500 मीटर ऊपर की है। दक्षिण भारत के इलायची बढ़ाने वाले क्षेत्र 8-30 डिग्री अक्षांश तथा 75-78 डिग्री रेखांश पर स्थित है ।
उपयोग
इसकी अधिकांश खपत अरब लोगों के आतिथ्य का प्रतीक कडक इलायची कॉफी - 'गहवा' तैयार करने में की जाती है। इसके अलावा साबुत और पीसे रूप में स्वाद एवं सुगंधदायक सामग्री बतौर इलायची का प्रयोग बडे पैमाने पर किया जाता है। एशिया में परंपरागत व आधुनिक, दोनों प्रकार के प्रत्येक पकवानों में यह टिका रहने वाला मज़ा ला सकती है। स्कान्डिनेवियन देशों में बेक किए हुए खाद्यों व मिठाइयों में इसका उपयोग किया जाता है। यूरोप व उत्तरी अमरीका में यह करी पाउडरों व सोसेजों का मुख्य घटक है। इलायची तेल व तैलीराल का उपयोग प्रसंस्कृत खाद्यों, कोर्ड़ियल्स व पेयों में स्वाद व सुगन्ध लाने और सुगंधवर्ध्दकों तथा आयुर्वेदिक दवाइयों में किया जाता है।
भारतीय नाम
हिन्दी - छोटी इलायची बंगाला - छोटी इलाची गुजराती - एलायची कन्नड - येलक्की कश्मीरी - ऑ-अल बुदुआ-अल मलयालम – एलत्तरी मराठी - वेलची उडिया - अलायची पंजाबी - एलायची संस्कृत – एला, तमिल - येलक्काय या एलक्काय तेलुगु - येलाक-कायलु या एलक्काय उर्दू - इलायची
विदेशी नाम
Spanish : Cardamomo French : Cardamome German : Kardamom Swedish : Kardemumma Arabic : Hal Dutch : Kardemom Italian : Cardamomo Portuguese : Cardamomo Russian : Kardamon Japanese : Karudamon Chinese : Pai-tou-k'ou