केपर
केपर
वानस्पतिक नाम
कैपेसिस स्पिनोसापरिवार
कैपरेसईवाणिज्यिक अंग
फल/जडविवरण
केपर कैप्परियस स्पिनोसा की कच्ची कलियाँ हैं,जो केपर बेरी भी जानी जाती हैं। यह एक मीटर तक ऊंची एक छोटी-सी झाडी है और इसके अनुपर्ण पत्ते कांटो में परिवर्तित होते हैं, एक साल की अवस्था की शाखाओं पर फूल लगते हैं, सफ़ेद रंग के इन फूलों में बैंगनी पुंकेसर के लंबे पुष्प-बल्लडे होते हैं। फूल सुबह खिलते हैं और सूर्यास्त तक मुरझा जाते हैं।
व्युत्पत्ति और प्रसारण
यह कानरी द्वीपों व मोरोक्को से क्रिमीया व अरमीनिया तक फैला हुआ मेडिट्टरेनियन देशज है। अरमीनिया, अल्जीरिया, ईजिप्त, मोरोक्को, टुनीशिया, साइप्रस, स्पेन, इटली व ईरान में इसकी खेती की जाती है। शुष्क ताप व कडी धूप केपर के पौधों केलिए अनुकूल वातावरण प्रदान करते हैं। 40 डिग्री सेल्सियस तापमान और 350 मि.मी. वार्षिक वर्षपात होने वाले क्षेत्र में भी यह टिका रहता है। यह -8 डिग्री सेल्सियस तक के तापमान में भी जिंदा रहता है । यह पोषक रहित बिलकुल सूखी पथरीली जमीन पर भी खूब बढता है। यह लवण सहिष्णु है और इसकी जडें काफी गहराई तक पहुँच जाती है ।
उपयोग
इसकी कलियाँ, अध-पक्के फल व छोटे पत्तों सहित तरुण अंकुर मसालों के रूप में प्रयोग करने हेतु तोड़ लिए जाते हैं। यह पास्ता सॉस, पीज़ा[pizza],मछली,मांस व सलादों में स्वाद, सुगंध व खारापन प्रदान करता है। यह वातरोधी है और आध्मान कम करता है । यह जिगर के कार्य को सुधारने में मदद करता है और धमनी-काठिन्य [arteriosclerosis] के खिलाफ तथा कृमिनाशक, मूत्रवर्ध्दक व शक्तिवर्ध्दक के रूप में इसका उपयोग किया जाता है । इसके प्रति ऑक्सीकारी गुण होते है। केपर के सार व गूदे का प्रयोग कान्तिवर्ध्दकों में किया जाता है ।
भारतीय नाम
हिन्दी: काबरा कन्नड: मुल्लुकट्टारी मराठी : कबूर पंजाबी : कौर, बरार तेलुगू : कोकिलाक्षमू
विदेशी नाम
Italian : Cappero Egypt : Caperberry Arabic : Kaber/Lussef French : Capre German : Kaper Greek : Kappari Spanish : Alcaparra