लहसुन
लहसुन
वानस्पतिक नाम
एलियम सौटिवम्परिवार
लिलिएसीवाणिज्यिक अंग
प्रकन्दविवरण
लहुसुन एक चपटे पत्तोंवाला कडा कंदीय, बध्दमूल(गहरा) चिरस्थाई पौधा है और उसके सफेद फूल और पत्र प्रकलिका होते हैं। प्रकंद में 6 से 34 तक फांक होती हैं जो 'गँठी' कही जाती है, जो सामान्य, पतले, सफेद या गुलाबी कागज़ी (पत्रित) परत से घेरी रहती है।
व्युत्पत्ति और प्रसारण
लहुसुन पश्चिम एशिया और मेडिटरेनियाई क्षेत्रवासी है। चीन, कोरिया, भारत, यू एस ए, स्पेइन, अर्जेंटीना एवं ईजिप्त(मिस्र) इसके मुख्य उत्पादक देश है। लहुसुन केलिए शीतल जलवायु वरीय है और यह अच्छी जल निकासवाली, अपेक्षाकृत चिकनी मिट्टी जो उच्चतर उत्तुंग पर है, में बढता है (900 से 1200 मीटर)
उपयोग
दुनियाभर लहुसुन का उपयोग वास्तव में, विभिन्न व्यंजनों को सुगंध एवं स्वाद प्रदान करने में होता है। युनाइटड स्टैटस में उत्पाद का लगभग आधा मसालेदार उत्पादों, सलाद सजाने एवं कई मांस-व्यंजनों में प्रयोग केलिए निर्जलीकृत किया जाता है। कच्चा लहुसुन, लहुसुन पाउडर, लहुसुन साल्ट, (गार्लिक साल्ट), गार्लिक विनिगर, गार्लिक चीस, क्रौटीन्स, गार्लिक पोट्टाटो चिप्स, गार्लिक ब्रेड आदि की तैयारी में प्रयुक्त होता है। स्प्रे डाइड लहुसुन उत्पाद, द्रव लहुसुन पकवान आदि अन्य उत्पाद है। भारत एवं अन्य एशियाई तथा मध्य पुर्वी देशों में लहुसुन अचार, करी पाउडर, पकाई सब्जियों, मांस के बने पकवानों आदि में प्रयुक्त होता है। लहुसुन का तेल सूप (शोरबा), कैनड फूड, सॉस आदि में फ्लेवरिंग एजेंट के रूप में प्रयुक्त होता है। यह जीवाणु-रोधी, कवकनाशी एवं नाशकजीवनाशी जैसी अन्य गुण विशेषताएँ भी रखता है। औषध के क्षेत्र में यह उदर, त्वचा-जन्य रोगों के विविध उपचारों केलिए प्रयुक्त होता है। देशी दवाओं में इसका व्यापक उपयोग रहा है और यह बहुत पौष्टिक भी माना जाता है।
भारतीय नाम
असमिया - नहरु हिन्दी - लशुन, लेस्सन, लहुसुन उडिया - रसुणा बंगाली - रसहुन गुजराती - लशन कन्नड - बेळळुळळी कश्मीरी - रुहन मलयालम - वेळुत्तुळळी मराठी - लस्सोण पंजाबी - लस्सन, लशुन संस्कृत - लसहुना तमिल - उळळिपुण्डु, वेळळैपुण्डु तेलुगु - वेल्लरी उर्दु - लस्सन , लेसहुन
विदेशी नाम
Spanish : Ajo French : Ail German : Knoblanch Swedish : Vitlok Arabic : Thum Dutch : Knoflook Italian : Agilio Portuguese : Alho Russian : Chesnok Japanese : Ninniku Chinese : Suan