सोआ
सोआ
वानस्पतिक नाम
ऐनेथम ग्रेवियोलन्स एलपरिवार
एपियेसीवाणिज्यिक अंग
फलविवरण
सोआ पिच्छाकार विभाजित पत्तों वाला वार्षिक शाकीय पोधा हैं। इसके पक्व , हल्के भूरे बीजों से खुशबू निकलती है। इसके पत्ते की सुखद गन्ध और तीखा स्वाद होता हैं। इसके बीज और पत्ते, दोनों मसाले हैं ।
व्युत्पत्ति और प्रसारण
यूरोपीय सोआ (एनीथीयम ग्रोवयोलन्स) का व्युत्पत्ति स्थान यूरोप है और इंग्लैण्ड, जर्मनी, रूमानिया, तुर्की , यू एस ए ओर रूस में इसकी खेती की जाती है। भारतीय सोआ (एनीथीयम सोआ) का व्युत्पत्ति स्थान उत्तर भारत है और यह यूरोपीय सोआ से बडा है। भारत के अधिकांश भागों में शीतकालीन फसल के रूप में इसकी खेती की जाती है।
उपयोग
सोआ बीज का प्रयोग साबुत तथा पेषित दोनों रूपों में सूप , सलाद , प्रसंस्कृत मांस, सॉसेज और अचारों में मसाला बतौर किया जाता है। इसके वाष्पशील तेल का प्रयोग साबुन के निर्माण में किया जाता है। देशी दवाओं के निर्माण में बीज और तेल दोनों प्रयुक्त किए जाते हैं। सोआ तेल का जलीय काढा एक सगन्ध वातहर है।
भारतीय नाम
हिन्दी - सोआ बंगला - सोआ गुजराती - सोआ कन्नड - सबासिजे कश्मीरी - सोर मलयालम - शतकुप्पा मराठी - सुरवा , षेपु पंजाबी - सोआ संस्कृत - शतपुष्पी तमिल - शतकुप्पी सोम्पा तेलुगु - सबासीज उर्दू - सोआ
विदेशी नाम
Spanish : Eneldo French : Aneth German : Dill Swedish : Dill Arabic : Shibith Dutch : Dille Italian : Aneto Portuguese : Endro Russian : Ukrop Chinese : Shin-Lo