हिस्सप
हिस्सप
वानस्पतिक नाम
हिस्सोपस ओफीसिनैलिसपरिवार
लैमिएसीवाणिज्यिक अंग
पत्ताविवरण
हिस्सप 30.60 से.मी. ऊँचा, उच्च तुंगताओं (1500 मीटर से ज्यादा) में बढनेवाला सगन्ध बहुवर्षी शाक है। इसकी शाखाएँ ऊर्ध्व अथवा फैली हुई है, और पत्ते अवृंत, रैखिक, दीर्घायत होते हैं। नील-बैंगनी रंग के फूल सीमांत शाखाओं के गौण पार्श्वी गुच्छों में खिलते हैं। पत्ते और फूलों से मसाले बनते हैं।
व्युत्पत्ति और प्रसारण
इसका उद्गम स्थान दक्षिणी यूरोप और एशिया के उष्णकटिबंधीय इलाके है। इसकी खेती यूरोप, खासकर दक्षिणी फ्रांस में की जाती हैं। भारत में यह हिमालय में पाया जाता है और कश्मीर में इसकी खेती की जाती है। यह पोधा पहाडी इलाकों की हल्की उर्वर मृदा में खूब बढता है। पॉट हर्ब के रूप में भी यह बढाया जाता है।
उपयोग
हिस्सप का प्रयोग मसाले के साथ-साथ दवा के रूप में भी किया जाता है। इसके पत्तों तथा पुष्पिकाग्रों का प्रयोग सलाद व सूप को सुवासित करने के लिए किया जाता है। लिक्वर और इत्रों के निर्माण में भी इसका प्रयोग किया जाता है। हिस्सप एक उत्तेजक, वातहर और कफ निवारक माना जाता है और सर्दी, खांसी और संकुलता तथा फेफडे की बीमारियों में इसका प्रयोग चलता है। यह फुफुत्सी, पाचन, गर्भाशयी तथा मूत्र संबन्धी बीमारियों में कारगर है। इसके पत्ते उत्तेजक, आमारामिक, वातहर और उदरशूल हैं। बिटरों तथा टॉनिक में सुवासकारी एजेंट के रूप में हिस्सप तेल का प्रयोग किया जाता है। हिस्सप के वाष्पशील तेल के सूक्ष्मजीवरोधी गुण होते है।
भारतीय नाम
हिन्दी : जुफ़ह-याडिश संस्कृत : जुफा उर्दू : जुफ़ा
विदेशी नाम
Chinese : Ngau sat chou Dutch : Hyssop French : Hysope German : Eisop Greek : Issopos Italian : Issopo Spanish : Hisopo